बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज़ है,मगर मौत का कोई इलाज़ नहीं दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा ए खुदाई नहीं लाल किताब है ज्योतिष निराली जो किस्मत सोई को जगा देती है फरमान दे के पक्का आखरी दो लफ्ज़ में जेहमत हटा देती है

Monday 27 June 2016

राजस्थान के मेंहदीपुर वाले बालाजी



राजस्थान के मेंहदीपुर वाले बालाजी

राजस्थान के सवाई माधोपुर और जयपुर की सीमा रेखा पर दौसा जिले में स्थित मेंहदीपुर कस्बे में बालाजी का एक अतिप्रसिद्ध तथा प्रख्यात मन्दिर है जिसे श्री मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर के नाम से जाना जाता है । नास्तिक भी बालाजी के साक्षसात चमत्कार देखकर आस्तिक बन जाते है | भूत प्रेतादि ऊपरी बाधाओं के निवारणार्थ यहां आने वालों का जमघट लगा रहता है। तंत्र मंत्रादि ऊपरी शक्तियों से ग्रसित व्यक्ति बालाजी के आशिर्वाद से पूरी तरह रोग मुक्त होकर निकलते है । सम्पूर्ण भारत से और देश विदेश से भक्तो का यहा ताँता लगा रह्ता है |
मंदिर निर्माण :
यह मंदिर ऐसी जगह बना हुआ है जहा प्राचीन काल में बहूत हिन्सक जंगल हुआ करता था | समय के साथ अब यह एक छोटा क़स्बा बन चूका है | दो पहाडियो के बीच बालाजी का मंदिर बना हुआ है , जिसे घाटे वाले बालाजी के नाम से भी पुकारा जाता है | इस मंदिर में हनुमान जी बल रूप में विराजमान है जो अपने आप पहाड़ी के पत्थर से बने हुए है | इस मूरत की तर्ज पर बाकी मंदिर का निर्माण किया गया है |
चमत्कारिक पानी की धारा :
ध्यान से देखने पर हनुमान जी के सीने में एक छोटा सा छेद है जिसमे से निरंतर पानी की एक धारा बहती रहती है यह जल बालाजी के चरणों तले स्थित एक कुण्ड में एकत्रित होता रहता है, जिसे भक्त्जन चरणामृत के रूप में अपने साथ ले जाते हैं |
तीन शक्तिया एक साथ भूत प्रेत खाते है मुक्के और लात :
घाटे वाले बालाजी के अलावा यहा प्रेतराज सरकार और भैरवनाथ (कौतवाल) भक्तो की पीड़ा हरते है | दुखी कष्टग्रस्त व्यक्ति को मंदिर पहुंचकर तीनों देवगणों को प्रसाद चढाना पड़ता है । बालाजी को लड्डू प्रेतराज सरकार को चावल और कोतवाल कप्तान (भैरव) को उड़द का प्रसाद चढाया जाता है । इस प्रसाद में से दो लड्डू रोगी को खिलाए जाते हैं और शेष प्रसाद पशु पक्षियों को डाल दिया जाता है ।
मंदिर निर्माण का प्राचीन इतिहास :
श्री गणेश पूरी जी महाराज घाटे वाले बालाजी मंदिर के ११वे महंत के अनुसार उनके पुर्वज को एक रात्री सपने में हनुमानजी ने आदेश दिए की यहा तीन शक्तियो का मंदिर बनना चाहिए जो अपने भक्तो के संकतो को दूर करेंगे | अपनी साधना से हनुमान जी ने उन पुर्वज को वह जगह पहाड के बीच में बताई | इस तरह इस मंदिर का निर्माण हुआ |

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