बृहस्पति के स्वामी कौन है?
बृहस्पति के अधिदेवता इंद्र और प्रत्यधि देवता
ब्रह्मा हैं। महाभारत के आदिपर्व में उल्लेख के अनुसार, बृहस्पति महर्षि
अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं।
ज्योतिष में गुरु की स्थिति
गुरु को ज्योयतिष में एक शुभ ग्रह माना गया है
जो कि जातकों को करियर और धन संबंधी मामलों में लाभ प्रदान करते हैं। कुंडली में
गुरु के अनुकूल होने पर माना जाता है कि जातक अपने जीवन में खूब नाम कमाएगा और उसे
तरक्कीु के साथ शुभ फल और आनंद की प्राप्ति होगी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं
गुरु ग्रह की खूबियों के बारे में और आपके जीवन पर ये क्या प्रभाव डालता है।
गुरु प्रथम भाव में हो
अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु प्रथम भाव
में हो तो ऐसे लोग काफी विद्वान होते हैं और ये पेशे से ज्योरतिषी, तेजस्वीि,
स्वांभिमानी,
सुखी
और सुंदर व धर्मात्माो होते हैं।
गुरु द्वितीय भाव में हो
किसी जातक की कुंडली में गुरु यदि दूसरे भाव
में हो तो ऐसे लोग मधुरभाषी होते हैं। ऐसे लोग स्वेभाव से बहुत ही सदाचारी,
शांत
और पुण्याभत्माव होते हैं। ऐसे लोग अक्स।र व्यंवसाय को अपना पेशा चुनते हैं।
गुरु तृतीय भाव में हो
कुंडली में गुरु यदि तृतीय भाव में हो तो ऐसे
जातक लेखक बनते हैं। ऐसे जातकों की रुचि विपरीत लिंग से संबंध बनाने में काफी होती
है। ऐसे लोगों की अपने बहन और भाइयों से काफी पटरी खाती है। ऐसे लोग विदेश गमन भी
करते हैं।
गुरु चतुर्थ भाव में हो
कुंडली के चौथे भाव में गुरु के होने पर जातक
काफी शौकीन टाइप के होते हैं। ऐसे लोगों को आराम तलबी काफी पसंद होती है और इसके
साथ ही ये सदैव उच्चल शिक्षा प्राप्तप करने के लिए प्रयासरत रहते हैं।
गुरु पांचवें भाव में हो
अगर किसी की कुंडली में गुरु पांचवें भाव में
हो तो ऐसे लोग नीति में ज्ञान प्राप्ती करने वाले और स्वंभाव से काफी लोकप्रिय
होते हैं। इनका अपने परिवार में सबसे ऊंचा स्थाकन होता है। ये ज्यो तिष भी बनते
हैं।
गुरु छठें भाव में हो
अगर आपकी कुंडली में जातक छठें भाव में गुरु हो
तो ऐसे लोग रोग से घिरे रहते हैं। ऐसे लोग मुकदमे में जीत हासिल करते हैं और सदैव
सफलता प्राप्तह करते हैं व अपने शत्रुओं को भी पटखनी देने की क्षमता रखते हैं।
गुरु सातवें भाव में हो
अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु सातवें भाव
में होते हैं तो उनकी बुद्धि श्रेष्ठी होती है और ऐसे लोग भाग्यववान, नम्र
और धैर्यवान होते हैं। ऐसे जातकों को धार्मिक कार्यों में काफी रुचि रहती है। इसके
साथ ही ऐसे जातक सभी से मिलने-जुलने वाले होते हैं।
गुरु आठवें भाव में हो
जिनकी कुंडली के आठवें भाव में गुरु होते हैं
ऐसे जातक दीर्घायु होते हैं और इनका मन अधिक समय तक पिता के घर में नहीं लगता और
ये अपने जीवन में अपने दम पर कुछ हासिल करना चाहते हैं। ऐसे जातक सभी प्रकार के
सांसारिक सुखों को प्राप्तक करते हैं। इनके भाग्यप में भी वृद्धि होती है।
गुरु नवें भाव में हो
जिन लोगों की कुंडली में गुरु नवें भाव में
होते हैं ऐसे जातक सुंदर से मकान का निर्माण करवाते हैं और भाई-बहनों से विशेष
स्ने ह रखते हैं। इस भाव में गुरु के होने पर जातक काफी प्रसिद्धि को प्राप्त करते
हैं और इनका जन्मद एक अमीर परिवार में होता है।
गुरु 10वें भाव में हो
जिन लोगों की कुंडली में गुरु 10वें
भाव में होता है ऐसे जातकों की प्रॉपर्टी में काफी रुचि रहती है। ऐसे लोग अपना घर
बनवाने में सफल होते हैं। इन लोगों की पेंटिंग में काफी रुचि होती है। इस भाव में
गुरु के होने पर जातक सदैव खुश रहना पसंद करते हैं। आर्थिक रूप से भी ऐसे जातक
समृद्ध रहते हैं।
गुरु 11वें भाव में हो
जिन लोगों की कुंडली के 11वें
भाव में गुरु होता है ऐसे लोग व्याॉपार में काफी दक्षता लिए होते हैं। ऐसे लोगों
को बिजनस में काफी सफलता प्राप्तह होती है। इस घर में बृहस्पति अपने शत्रु ग्रहों
बुध, शुक्र और राहु से संबंधित चीजों और रिश्तेदारों पर प्रतिकूल प्रभाव
डालता है। नतीजतन, जातक की पत्नी दुखी रहती है।
गुरु 12वें भाव में हो
जिन लोगों की कुंडली में गुरु 12वें
भाव में होते हैं ऐसे लोग स्वीभाव से आलसी, कम खर्च करने और
कई बार तो दुष्टड प्रकृति के भी होते हैं। ऐसे जातक स्व भाव से काफी लोभी और लालची
भी होते हैं। इस प्रकार के लोग धर्म कर्म में काफी यकीन करते हैं।
बृहस्पति का नंबर कौन सा है?
3 अंक के स्वामी – 3 अंक के स्वामी
देवगुरु ग्रह बृहस्पति हैं। जिन लोगों का जन्म 03, 12, 21 या 30
तारीख को हुआ उनका मूलांक 3 है और इनके मूलांक स्वामी बृहस्पति
हैं।
गुरु खराब होने के लक्षण (9
लक्षण)
शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति में बाधा
काल्पनिक दुनिया में खोए रहना
शिक्षक या गुरु अच्छे नहीं मिलते
सही गलत चुनने की क्षमता घट जाती है
नैतिकता में कमी आ जाती है
ज्ञान का अहंकार हो जाना
पाचन ठीक से नहीं होता
नास्तिक हो जाना
गुरु ग्रह से कौन कौन सी बीमारी होती है?
बृहस्पति कमजोर हो तो व्यक्ति को लीवर, किडनी,
प्लीहा
आदि से संबंधित कोई रोग हो जाता है। वहीं इस ग्रह के प्रभाव से जातक को कान से
संबंधित रोग, मधुमेह, पीलिया, स्मृति
हानि, जीभ से संबंधित कोई समस्या, मज्जा दोष, यकृत पीलिया,
मोटापा,
दंत
रोग, मस्तिष्क विकार आदि हो जाता है।
गुरु को मजबूत करने के लिए करें ये काम
बृहस्पतिवार का व्रत करना चाहिए।
बृहस्पतिवार को ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे
नम: मंत्र का जाप मंत्र का जाप 3, 5 या 16 माला कर सकते
हैं।
नियमित रूप से भोजन में बेसन, चीन
और घी से बने लड्डू का सेवन करना चाहिए। ...
गुरुवार को नाखून नहीं काटने चाहिए।
गुरुवार को बाल नहीं धोने चाहिए।
*गुरु
ग्रह खराब हो तो क्या करना चाहिए?
उपाय : यदि आपका गुरु अशुभ या कमजोर है तो आप
नित्य पीपल में जल चढ़ाएं, सदा सत्य बोलें और अपने आचरण को शुद्ध
रखें तो गुरु शुभ फल देने लगेगा। इसके अलावा गुरु को शुभ करने के लिए सदा पिता,
दादा
और गुरु का आदर कर उनके पैर छुएं। गुरु बनाएं। इसके अलावा अन्य अचूक उपाय यह कि
गुरुवार के दिन पीली वस्तु का सेवन करें।
*बृहस्पति
ग्रह को मजबूत कैसे करें?
गुरु ग्रह को प्रबल करने के लिए आप अपनी शक्ति
अनुसार शहद, पीले अन्न, पीले वस्त्र,
फूल,
हल्दी,
पुस्तक,
पुखराज,
सोना
आदि का दान कर सकते हैं. 6. जिनका गुरु ग्रह कमजोर होता है,
उनको
पुखराज पहनना चाहिए. इसके लिए आपको किसी योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह लेनी चाहिए.
*गुरु
कमजोर होने पर क्या होता है?
- गुरु कमजोर हो तो जातक को पैसों की तंगी से
जूझना पड़ता है. उनके कामों में बार-बार रुकावटें आती हैं. - कमजोर गुरु शिक्षा
पाने में भी मुश्किलें लाता है. ऐसे में जातक को या तो पढ़ाई बीच में ही छोड़ने
पड़ती है या वह मनमुताबिक पढ़ाई नहीं कर पाता है
*गुरुवार
के उपाय
• ब्रम्ह
मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
• स्नान
के समय 'ॐ बृ बृहस्पते नमः' का जाप भी करें।
• गुरु
के भी प्रकार के दोष को दूर करने के लिए आप गुरुवार के दिन नहाने के पानी में
चुटकी भर हल्दी डालकर स्नान करें।
• इसके
साथ ही साथ नहाते वक्त “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप
जरूर जाप करें।
• गुरु
उच्च का कब होता है?
• ज्योतिष
शास्त्र के अनुसार गुरु को कर्क राशि में उच्च् का माना गया है. यानि जब गुरु कर्क
राशि में होते हैं तो ये उच्च के होते हैं. इस स्थिति में गुरु शुभ फल प्रदान करने
वाले माने गए हैं. इसके साथ ही मकर राशि में गुरु को नीच का माना गया है
• गुरु
नीच का कब होता है?
• कुंडली
के तीसरे भाव में गुरु हो तो वह जातक को नीच स्वभाव का बना देता है। परंतु उसे
सहोदर भ्राताओं का सुख भी प्राप्त होता है। तीसरे भाव का बृहस्पति जातक को समझदार
और अमीर बनाता है, जातक अपने पूरे जीवन काल में सरकार से निरंतर
आय प्राप्त करता रहता है। नवम भाव में स्थित शनि जातक को दीर्घायु बनाता है।
• गुरु
कैसे खराब होता है?
• गुरु
जब शुभ होते हैं तो व्यक्ति को पुरस्कार, मान सम्मान दिलाते हैं. लेकिन जब इसमें
कमी महसूस होने लगे तो समझ लेना चाहिए गुरु अशुभ फल दे रहे हैं. उच्च पद प्राप्त
करने में बाधा: जब उच्च पद प्राप्त करने में बाधा आने लगे तो समझ जाना चाहिए कि
गुरु शुभ नहीं है. इस तरह की दिक्कत आने पर गुरु का उपाय करना चाहिए.
• गुरु
ग्रह से आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें?
• गुरु
बीज मंत्र - "ॐ ग्राम ग्रीं सः गुरवे नमः" का प्रतिदिन 28
बार या 108 बार जाप करें। किसी धार्मिक स्थान जैसे बृहस्पति के मंदिर में लोगों
को मिठाई या गुड़ का दान करें ताकि आपको ज्ञान और विस्तार का आशीर्वाद मिल सके।
गरीबों के प्रति निःस्वार्थ सेवा करें या मंदिरों में स्वैच्छिक कार्य करें।
• गुरु
को कैसे खुश रखें?
• बृहस्पति
देव को प्रसन्न करने के लिए पीड़ित जातक को गुरुवार का व्रत अवश्य करना चाहिए. इस
दिन पीले वस्त्रों को धारण करना भी श्रेष्ठ माना गया है. व्रत का पारायण भी पीले
भोजन के साथ करना चाहिए. अगर आप राशि में गुरु कमजोर स्थिति में हैं तो इससे
उत्पन्न होने वाली परेशानी से बचने के लिए कुछ चीजों का दान करना शुभ माना गया है.
*बृहस्पति
के लिए कौन सा घर अच्छा है?
प्रथम भाव या लग्न में बृहस्पति मुख्य रूप से
जातक के सामान्य स्वास्थ्य और व्यक्तित्व को दर्शाता है। यह प्रमुख घर है जो जन्म
कुंडली में विभिन्न राशियों और ग्रहों की आगे की स्थिति तय करता है।
*आपको
कैसे पता चलेगा कि बृहस्पति मजबूत है या कमजोर?
ऐसा माना जाता है कि हथेली की तर्जनी के नीचे
का पर्वत बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता है। पर्वत का यही कहना है। नेगेटिव
बृहस्पति - यदि पर्वत एक दूसरे को आड़ी-तिरछी रेखाओं से भरा हुआ है, तो
बृहस्पति आपके लिए नकारात्मक भाव रखता है। कमजोर गुरु - चपटी पर्वत का अर्थ है कि
आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है ।
*क्या
गुरुवार को चावल खा सकते हैं?
यह भगवान विष्णु की पूजा करने का भी दिन है,
जिन्हें
पीला रंग पहनना पसंद है। इसलिए लोगों का मानना है कि खिचड़ी को कभी भी बनाना या
खाना नहीं चाहिए, क्योंकि ये पीली मूंग दाल और चावल से बनती है.
साथ ही, यह भी माना जाता है कि गुरुवार के दिन खिचड़ी खाने से 'धन
हानि' होती है और दरिद्रता आती है।23 जून 2022
*मीठा
खाने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है?
जिनकी कुंडली में बृहस्पति या सूर्य मजबूत होता
है, उन्हें मीठा खाना पसंद होता है. अगर बृहस्पति या सूर्य की वजह से
परेशानी हो तो मीठा खाना बंद कर देना चाहिए. खट्टा स्वाद शुक्र का होता है.2
*गुरु
दोष कैसे दूर करें?
विष्णु सहस्रनाम या बृहस्पति मंत्र का जाप आपको
शांत रखेगा । यह सलाह दी जाती है कि गुरु चांडाल दोष के दौरान आपको गरीबों की मदद
करने और आवारा पशुओं को खिलाने में खुद को शामिल करना चाहिए। कम भाग्यशाली लोगों
को उपयोगी चीजें दान करने से इस दोष का प्रभाव काफी कम हो जाता है।
*गुरु
की महादशा में व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
गुरु ग्रह के उपाय
1. बृहस्पतिवार
का व्रत रखें। ...
2. नहाने
के पानी में हल्दी डालकर, उस पानी से नहाएं।
3. गुरुवार
के दिन मंदिर जाकर केले के पेड़ की पूजा करें।
4. केले
के पेड़ पर हल्दी, गुड़ और चने की दाल चढ़ाएं।
5. गुरुवार
के दिन गरीबों या जरूरतमंदों को पीली चने की दाल, केले और पीली
मिठाई दान करें।