🕉️ शयन विधान 🕉️
🔹सोने की मुद्राऐं-:
उल्टा सोये भोगी,
सीधा सोये योगी,
दांऐं सोये रोगी,
बाऐं सोये निरोगी।
🔹शयन का शास्त्रीय विधान-:
➖बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं।
➖शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औधा या ऊल्टा सोने से आँखों की परेशानी होती है।
➖सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना।
➖संधि काल में कभी नहीं सोना चाहिए।
🔹शयन में दिशा महत्व-:
दक्षिण दिशा (South) में पाँव रखकर कभी सोना नहीं चाहिए। इस दिशा में यम और नकारात्मक ऊर्जा का वास होता हैं। कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है स्मृति-भ्रंश, व असंख्य बीमारियाँ होती है।
1- पूर्व ( E ) दिशा में मस्तक रखकर सोने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
2-दक्षिण ( S ) में मस्तक रखकर सोने से आरोग्य लाभ होता है।
3-पश्चिम( W ) में मस्तक रखकर सोने से प्रबल चिंता होती है।
4-उत्तर ( N ) में मस्तक रखकर सोने से स्वास्थ्य खराब व मृत्यु तुल्य कष्ट होता है।
🔹विशेष शयन की सावधानियाँ-:
▪️ दीपक की तरफ मस्तक और पाँव नहीं करने चाहिए। दीपक बायीं या दायीं और कम से कम पांच हाथ दूर होना चाहिये।
▪️संध्याकाल में निद्रा नहीं लेनी चाहिए।
▪️शय्या पर बैठे-बैठे निद्रा नहीं लेनी चाहिए।
▪️द्वार के उंबरे/ देहरी/थलेटी/चौकट पर मस्तक रखकर नींद न लें।
▪️ह्रदय पर हाथ रखकर,छत के पाट या बीम के नीचें और पाँव पर पाँव चढ़ाकर निद्रा न लें।
▪️सूर्यास्त के पहले सोना नहीं चाहिए।
▪️पाँव की और शय्या ऊँची हो तो अशुभ है। केवल चिकित्सक उपचार हेतु छूट हैं।
▪️शय्या पर बैठकर खाना-पीना अशुभ है।
▪️सोते- सोते पढना नहीं चाहिए।
▪️ललाट पर तिलक रखकर नहीं सोना चाहिए। (इसलिये सोते वक्त तिलक मिटाने का कहा जाता है। )
▪️बाईं और करवट लेकर सोने से डाइजेशन सिस्टम बेहतर होता है। अतः सोते समय कुछ देर बाईं करवट सोना चाहिए।
▪️सोने से पूर्व भगवान का ध्यान करें और कुछ देर भगवान के पवित्र नामों का जप करें-:
सोने से पूर्व आप बिस्तर पर वे बातें सोचें, जो आप जीवन में चाहते हैं। क्योंकि सोने के पूर्व के 10 मिनट तक का समय बहुत संवेदनशील होता है जबकि आपका अवचेतन मन जाग्रत होने लगता है और उठने के बाद का कम से कम 15 मिनट का समय भी बहुत ही संवेदनशील होता है। इस दौरान आप जो भी सोचते हैं वह वास्तविक रूप में घटित होने लगता है। अत: शास्त्रों के अनुसार सोने से पूर्व आप अपने ईष्ट का ध्यान और नाम जप करने के बाद ही सोएं।।
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