बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज़ है,मगर मौत का कोई इलाज़ नहीं दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा ए खुदाई नहीं लाल किताब है ज्योतिष निराली जो किस्मत सोई को जगा देती है फरमान दे के पक्का आखरी दो लफ्ज़ में जेहमत हटा देती है

Tuesday 5 February 2013

त्राटक ध्यान और कार्य सिद्धि के योग

अंतर्गत लेख:



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त्राटक साधना यानी किसी भी वस्तु को एकटक देखना। हठयोग में इसको दिव्य साधना से संबोधित करते हैं।  त्राटक के द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। इससे विचारों का संप्रेषण, दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, सम्मोहन, , अदृश्य वस्तु को देखना, दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है। संकल्प शक्ति व कार्य सिद्धि के योग बनते हैं,आँखों के लिए तो त्राटक लाभदायक है ही साथ ही यह आपकी एकाग्रता को बढ़ाता है। स्थिर आँखें स्थिर चित्त का परिचायक है। नियमित अभ्यास कर मानसिक शांति और आनंद लिया जा सकता है। इससे आँख के सभी रोग छूट जाते हैं। मन का विचलन खत्म हो जाता है। यह स्मृतिदोष भी दूर करता है और इससे दूरदृष्टि बढ़ती है। इससे विचारों का संप्रेषण, दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना त्राटक विद्या को सिद्ध किया जा सकता है और वह भी बहुत अच्छी तरह से। इसके बाद आप जिस चीज को देखेंगे, वह आप की ओर चली आएगी, चाहे इंसान हो या फिर कोई । वास्तव में सम्मोहन, वशीकरण और कई नामों से पुकारा जाता है। सम्मोहन, वशीकरण का ही एक रूप है त्राटक साधना। इसके जरिए हम अपनी आंखों और मस्तिष्क की शक्तियों को जागृत करके उन्हें इतना प्रभावशाली कर सकते हैं कि मात्र सोचने और देखने भर से ही कोई भी चीज हमारे पास आ जाएगी।  मन की एकाग्रता को प्राप्त करने की अनेकानेक पद्धतियाँ शास्त्र में निहित हैं। इनमें 'त्राटक' उपासना सर्वोपरि है।प्रबल इच्छाशक्ति से साधना करने त्राटक के अभ्यास से अनेक प्रकार की  सिद्धियाँ स्वयमेव आ जाती हैं।त्राटक के द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। त्राटक सिद्धि का उपयोग सकारात्मक तथा निरापद कार्यों में करने से त्राटक शक्ति की वृद्धि होने लगती है। दृष्टिमात्र से अग्नि उत्पन्न करने वाले योगियों में भी त्राटक सिद्धि रहती है।
त्राटक क्रिया विधि
 त्राटक साधना लगातार तीन महीने तक करने के बाद उसके प्रभावों का अनुभव साधक को मिलने लगता है। इस साधना में उपासक की असीम श्रद्धा, धैर्य के अतिरिक्त उसकी पवित्रता भी आवश्यक है। शरीर को स्वस्थ्य और शुद्ध करने के लिए
त्राटक साधना करने के लिए आपको खुद को कुछ दिनों के लिए नियमों में बांधना होगा। यह साधना आप उगते सूर्य, मोमबत्ती, दीया, किसी यंत्र, दीवार या कागज पर बने बिंदू आदि में से किसी को देखकर ही कर सकते हैं।
त्राटक साधना में रखें ये सावधानियां - इस साधना के समय आपके आसपास शांति हो। इस साधना का सबसे अच्छा समय है आधी रात या फिर ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 3 से 5 के बीच। यह सिद्धि रात्रि में अथवा किसी अँधेरे वाले स्थान पर करना चाहिए। प्रतिदिन लगभग एक निश्चित समय पर 30 मिनट तक करना चाहिए। स्थान शांत एकांत ही रहना चाहिए। साधना करते समय किसी प्रकार का व्यवधान नहीं आए, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शारीरिक शुद्धि व स्वच्छ ढीले कपड़े पहनकर किसी आसन पर बैठ जाइए।
अपने आसन से लगभग तीन फुट की दूरी पर मोमबत्ती अथवा दीपक को आप अपनी आँखों अथवा चेहरे की ऊँचाई पर रखिए। अर्थात एक समान दूरी पर दीपक या मोमबत्ती, जो जलती रहे, जिस पर उपासना के समय हवा नहीं लगे व वह बुझे भी नहीं, इस प्रकार रखिए। इसके आगे एकाग्र मन से व स्थिर आँखों से उस ज्योति को देखते रहें। जब तक आँखों में कोई अधिक कठिनाई नहीं हो तब तक पलक नहीं गिराएँ।
क्रम प्रतिदिन जारी रखें। धीरे-धीरे आपको ज्योति का तेज बढ़ता हुआ दिखाई देगा। कुछ दिनों उपरांत आपको ज्योति के प्रकाश के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखाई देगा।
विशेष ध्यान अभ्यास कमरे के दरवाजे बंद कर लें, और एक बड़ा दर्पण अपने सामने रख लें। कमरे में अंधेरा होना चाहिए। और फिर दर्पण के बगल में एक छोटी सी लौ--दीपक, मोमबत्ती  इस प्रकार रखें कि वह सीधे दर्पण में प्रतिबिंबित न हो। सिर्फ आपका चेहरा ही दर्पण में प्रतिबिंबित हो, फिर लगातार दर्पण में अपनी स्वयं की आंखों मंी देखें। पलक न झपकाएं। यह 30 मिनट का प्रयोग है, और दो या तीन दिन में ही आप अपनी आंखों को बिना पलक झपकाए देखने में समर्थ हो जाएंगे। यदि आंसू आएं तो उन्हें आने दें, लेकिन दृढ़ झपके और लगातार अपनी आंखों में देखते रहें। रहें कि पलक न दृष्टि का कोण न बदलें। आंखों में देखते रहें, अपनी ही आंखों में। और दो या तीन दिन में ही आप एक बहुत ही विचित्र घटना से अवगत होंगे। आपका चेहरा नये रूप लेने लगेगा। आप घबरा भी सकते हैं। दर्पण में आपका चेहरा बदलने लगेगा। कभी-कभी बिलकुल ही भिन्न चेहरा वहां होगा, जिसे आपने कभी नहीं जाना है कि वह आपका है।पर असल में ये सभी चेहरे आपके हैं।अब अचेतन मन का विस्फोट होना प्रारंभ हो रहा है। ये चेहरे, ये मुखौटे आपके हैं। कभी-कभी कोई ऐसा चेहरा भी आ सकता है जो कि पिछले जन्म से संबंधित हो। एक सप्ताह लगातार 30 मिनट तक देखते रहने के बाद आपका चेहरा एक प्रवाह, एक फिल्म की भांति हो जाएगा। बहुत से चेहरे जल्दी-जल्दी आते-जाते रहेंगे। तीन सप्ताह के बाद, आपको स्मरण भी नहीं रह पाएगा कि आपका चेहरा कौन सा है। आप अपना ही चेहरा स्मरण नहीं रख पाएंगे, क्योंकि आपने इतने चेहरों को आते-जाते देखा है।यदि आपने इसे जारी रखा, तो तीन सप्ताह के बाद, किसी भी दिन, सबसे विचित्र घटना घटेगी: अचानक दर्पण में कोई भी चेहरा नहीं है। दर्पण खाली है, आप शून्य में झांक रहे हैं।  चेहरा न हो, बस आंखें बंद कर लें--यही सबसे महत्वपूर्ण क्षण है- भीतर देखें, और आप अचेतन का साक्षात करेंगे। इस स्थिति के पश्चात उस ज्योति में संकल्पित व्यक्ति व कार्य भी प्रकाशवान होने लगेगा। इस आकृति के अनुरूप ही घटनाएँ जीवन में घटित होने लगेंगी। इस अवस्था के साथ ही आपकी आँखों में एक विशिष्ट तरह का तेज आ जाएगा। जब आप किसी पर नजरें डालेंगे, तो वह आपके मनोनुकूल कार्य करने लगेगा। जितनी देर तक बिना पलक गिराए किसी एक बिंदु, पर देख सकें देखते रहिए। इसके बाद आँखें बंद कर लें। कुछ समय तक इसका अभ्यास करें। इससे आप की एकाग्रता बढ़ेगी।
रात को यदि त्राटक करें तो सबसे अच्छा साधन है मोमबत्ती। मोमबत्ती को जलाकर उसे ऐसे रखें कि वह आपकी आंखों के सामने बराबरी पर हो। - मोमबत्ती को कम से कम चार फीट की दूरी पर रखें। - पहले तीन-चार दिन तीन से पांच मिनट तक एकटक मोमबत्ती की लौ को देखें। इस दौरान आपकी आंखें नहीं झपकना चाहिए। - धीरे-धीरे समय सीमा बढ़ाएं, आप पाएंगे थोड़े ही दिनों में आपकी आंखों की चमक बढ़ गई है और इसमें आकर्षण भी पैदा होने लगा है
सावधानी :  आँखों में किसी भी प्रकार की तकलीफ हो तो यह क्रिया ना करें। त्राटक के अभ्यास से आँखों और मस्तिष्क में गरमी बढ़ती है, इसलिए इस अभ्यास के तुरंत बाद नेती क्रिया का अभ्यास करना चाहिए। अधिक देर तक एक-सा करने पर आँखों से आँसू निकलने लगते हैं। ऐसा जब हो, तब अभ्यास छोड़ दें। यह क्रिया भी जानकार व्यक्ति से ही सीखनी चाहिए, क्योंकि इसके द्वारा आत्म सम्मोहन घटित हो सकता है।
कमजोर नेत्र ज्योति वालों को इस साधना को शनैः-शनैः वृद्धिक्रम में करना चाहिए

LAL Kitab Anmol

2 comments:

  1. आत्म सम्मोहन से क्या तात्पर्य है । केसे दूर होता हे।।

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