श्री बालाजी की
भोग विधि
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जब भी रोगी घर से दरबार आए तब सवा दो रुपए,
एक नारियल, सवा मीटर कपडा, मकान की मिट्टी तथा पीले चावल बालाजी महाराज का ध्यान रखकर मकान में घुमाकर
लाएँ प्रार्थना करे कि-"हमारे मकान मे घर एव बाहर संबंधी जो भी संकट हो बालाजी
महाराज का ध्यान रखकर मकान में घुमाकर लाएँ और प्रार्थना करे कि---" हमारे
मकान मे घर एवं बाहर संबंधी जो भी संकट हो बालाजी महाराज इस नारियल के द्वारा
दरबार ले जाएँ |
2. बालाजी दरबार मे
आने के बाद रोगी स्नान इत्यादि करके आने की दरखास्त एवं इस विधान को बालाजी दरबार
मे भेट करे और प्रार्थना करे कि--"बालाजी महाराज ! जो भी संकट आए है उनको
दरबार मे रखे और मुझे शान्ति दे |"
एक दरखास्त रोगी
के नाम लगा दे | दरखास्त तीनो जगह
बालाजी,भैरव जी था प्रेतराज
सरकार के समक्ष लगेगी | बालाजी से दो
लड्डू वापिस मिलेगे उन्हे अलग हाथो मे रख ले और जब तीनो जगह दरखास्त लग जाए तब बचा
हुआ श्री प्रेतराज सरकार के दरबार के पीछे पहाडियो पर पक्षियो को लड्डूओ को रोगी
को खिला दे |
4.अर्जी:--
इसके बाद रोगी के
नाम से अर्जी लगानी चाहिए | अर्जी का समय
आरती के बाद ७ बजे से ११ बजे तक है | अर्जी १८१ रुपये मे मंदिर के बाहर दुकानो से मिलेगी | अर्जी मे लड्डू और उबले हुए चावल व उडद मिलते है | बालाजी के दरबार से अर्जी के दो लड्डू मिलेगे |
तीनो जगह बालाजी, भैरव जी, प्रेतराज जी को
भोग लगा दे तथा शेष अर्जी का सामान प्रेतराज जी के दरबार के पीछे पहाडियो पर डालने
के बाद लड्डू रोगी को खिला दे |एक अर्जी लगाने
वाले की तीन वर्ष तक रक्षा करती है | तीन वर्ष बाद यदि आवश्यकता हो तो दरबार मे आकर अर्जी लगानी चाहिए | अर्जी के साथ एक दरखास्त लगानी जरुरी है जिससे
अर्जी स्वीकार हो जाती है | यह दरखास्त हर
प्रश्न पर लगा सकते है | चाहे भूत-बाधा हो
या परिवार पर संकट या अन्य प्रकार की समस्या | एक दरखास्त दो प्रश्न के लिए ही लगेगी |
पेशी के छोटे
लड्डू २.२५ पैसे मे दुकानदारो से लेकर आरती से पहले मंदिर मे जमा करा दे | आरती के बाद वे ही लड्डू मंदिर मे बटते है |
वे लड्डू लेकर रोगी को खिला दे तुरन्त जो भी
संकट आदि है वह बोलने लगेगा |
६. भैरव बाबा का
भोग:
यदि पेशी न आए और
संकट न बोले तो भैरव बाबा का भोग लगाना जरुरी है | भैरव जी के भोग मे १०० ग्राम गुलगुले होते है भोग लने के
बाद २ गुलगुले रोगी को खिलादे | बाकी गुलगुले
रोगी पर से २१ बार उतार कर कुत्ते को खिलादे |
७.प्रेतराज जी का
भोग :
इसके पश्चात
प्रेतराज जी का भोग लगाना अनिवार्य है | प्रेतराज जी का भोग १०० ग्रम खीर से लगाएँ | भोग की बची हुई खीर व अन्य लोग भी ले सकते है |
८. दीवान सरकार
का भोग :
इसके पश्चात
दिवान सरकार का भोग लगाना चाहिए |उनका दरबार श्री
प्रेतराज सरकार जी के पीछे है | भोग मे सात बताशे
,थोडी मिठाई, दो लोग, दो इलायची जलते हुए कण्डे पर रखो और रोगी को उसका धुआँ साँस
के साथ अन्दर लेने दे | रोगी के अन्य
घरवाले दीवान सरकार के सामने दो अगर्बत्ती जलाकर प्रार्थना करे कि पेशी आ जाए और
संकट कट जाए |
९.माँ काली का
भोग :
अब यदि भूत -
बाधा न बोले, न हटे, न कटे और रोगी पर चौकी या बंधन हो तो माँ काली
का भोग लगाना चाहिए जिनका मंदिर सामने पहाडी पर है | माँ काली के भोग मे एक पान , एक दरखास्त एक लोटा जल, एक जायफल दो बताशे, दो लौग लेकर माँ काली का भोग पुजारी जी से लगवा दे | भोग लगाने के बाद पुजारी जी थोडा -सा जल , थोडा सा पान और लड्डू देगे, वह रोगी को खिला दे और माँ काली से संकट काटने
की विनती करे |
१०. समाधी वाले बाबा का भोग :
यह भोग प्रातः ७
बजे व १२ बजे, सायं ५ से ६ बजे,
समाधी पर लगेगा | इसमे १०० ग्राम जलेबी लेकर भोग लगवाएँ | दो जलेबी रोगी को खिलाएँ और बाकी कुत्ते को
खिला दें |
११.भंगी बाडे का
भोग :
यदि पेशी नही आती
तो भंगी बाडे का भोग लगवाना जरुरी है | वह स्थान श्री प्रेतराज जी के दरबार मे जाते हुए सीढियो के पास उल्टे हाथ की
तरफ है | इस भोग मे सात बताशे ,
थोडी मिठाई , दो लौग, दो इलायची,
जलते हुए कण्डे पर रखकर रोगी को धुआ लेना चाहिए
| भंगी बाडे का भोग लगाने
के बाद रोगी और उनके साथ के लोग किसी अन्य यात्री को न छुएँ बल्कि ठरने के स्थान
पर नहाकर कपडे बदलकर दरबार मे जाएँ |
१२.पीपाल के
वृक्ष पर :
एक लोटा जल ,
दो बताशे, दो इलायची पीपल के वृक्ष पर चढा दे और प्रार्थना करे कि जो
भी बंधन , चौकी इत्यादि हो वह कट
जाए | लोटे मे थोडा जल बचा ले
और रोगी को पिला दे |साथ ही इन
मन्त्रो का जाप करे :-- ॐ तंत्र मंत्र क्रिया बटुक भैरवाय नमः, ॐ क्लीं कलिकाय नमः, ॐ भैरवाय नमः , ॐ प्रेतराजाय धर्मराजाय नमः, ॐ ह्री हनुमते
नमः ,रामाय नमः , ॐ दुर्गाय नमः , ॐ बटुक भैरवाय नमः |
13.जाप करने की विधि
:
कुश अथवा ऊन के
आसन पर बैठकर सामने दीप जलाकर रखे तथा श्री बालाजी, माँ दुगाँ , माँ काली तथा
भगवान शंकर जी के चित्रो को भी सामने रख ले | एक पात्र मे जल ले तथा एक खाली पात्र पास मे रख ले |१०८ मनको की एक माला पूरी हो जाने पर थोडा जल
शुध्द पात्र मे गिराए | इस प्रकार हर
मंत्र की सात मालाएँ पूरी करने पर सातबार खाली पात्र मे जल गिराए और सात माला हो
जाने पर यह जल रोगी को पीला दिया जाए तथा विश्वास और श्रध्दापूर्वक बालाजी के
दरबार मे हनुमान चालीसा अथवा दुर्गा चालीसा का पाठ करे | इतने पर भी पेशी या संकट नही बोलता है तो रोगी को गीता का
सातवाँ, आठवाँ तथा बारहवाँ अध्याय
सुनाना अनिवार्य है |
१४. परीक्षण :
संकट कटने के बाद
पेशी के लड्डू रोगी को एक बार खिलाना जरुरी है | इससे संकट का निवारण हो जाता है | कि और कोई भूत आदि तो नही है | भूतो की बातो पर कभी विश्वास नही करना चाहिए क्योकि वे
हमेशा झूठ बोलते है और बचने की कोशिश करते है |
१५. हवन :
११, २१, ४१ दिन के नियम पूर्ण होने पर किसी कर्मकाडी ब्राह्मण से हवन कराना चाहिए |
हवन समाप्त हो जाने पर रोगी कही भी जा सकता है |
१६. परहेज :
संकट कटने के बाद
११, २१, या ४१ दिनो तक नियम परहेज से रहना चाहिए तथा
तेल ,साबुन , सरसो, काली मिर्च, लौग श्री बालाजी
के दरबार मे पढवाने के बाद ही रोगी को प्रयोग करनी चाहिएँ | रोगी को जमीन पर सोना चाहिएँ | सरसो का तेल अथवा देसी घी कि अखंड ज्योति जलानी चाहिए |
सुबह -शाम बालाजी की पूजा करे | तेल ,खटाई , मिर्च का रोगी को सेवन
नही करना चाहिए | हल्का घी,
दुध तथा हरी सब्जी रोगी ले सकता है | परंतु ये सभी चीजे बाबा की भभूती जो श्री
बालाजी , श्री भैरव जी श्री
प्रेतराज जी के दरबार मे मिलती है मिलकर ही लेनी चाहिए || ११, २१, ४१ दिनो तक रोगी को घर से बाहर नही निकालना
चाहिए |
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