शास्त्रों के अनुसार हिंदु धर्म के किसी भी धार्मिक या
मांगलिक कार्य का आरंभ गणपतिजी की पूजा अर्चना से ही प्रारम्भ होता है |
भगवान गणेशजी को विघ्नहर्ता कहा गया है | गणेश जी उन्नति, खुशहाली और मंगलकारी देवता हैं। जीवन में समस्त प्रकार कि
रिद्धि-सिद्धि एवं सुखो कि प्राप्ति एवं अपनी सम्स्त आध्यात्मिक-भौतिक इच्छाओं कि
पूर्ति हेतु गणेश जी कि पूजा-अर्चना एवं आराधना अवश्य करनी चाहिये।
हमारे शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां और चार अंतःकरण हैं। इनके
पीछे जो शक्तियां हैं उनको चैदह देवता कहते हैं। इन देवताओं के मूल प्रेरक भगवान
श्री गणेश हैं। गणपतिजी के अलग-अलग नाम व अलग-अलग स्वरूप हैं,
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार ग्रह पीडा दूर करने हेतु भगवान गणेश कि
पूजा-अर्चना करने से समस्त ग्रहो के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं एवं शुभ फल कि
प्राप्ति होती हैं।
यदि प्रथम भाव पीडित अर्थात शारीरिक समस्या है तो गणेशजी को
दूर्वा जल से अभिषेक करें ओम् गं गणपतये नमः मंत्र के द्वारा |
यदि दूसरा भाव अर्थात धन की समस्या है तो गणेशजी को
कमलगट्टे एवम् कमल के फूलो की माला चढाये |
यदि तीसरा भाव अर्थात पराक्रम मे कमी है तो गणेशजी को कत्थे
को चंदन मे मिलाकर चढाये
यदि चतुर्थ भाव अर्थात पारिवारिक समस्या है तो मिश्री
मिलाकर जल चढायें |
यदि पंचम भाव अर्थात संतान सम्बन्धी समस्या हो तो गाय का
शुद्ध देशी घी चीनी मिलाकर गणेशजी को चढाये |
यदि छठा भाव अर्थात रोग की समस्या हो तो कुशा जल से गणेशजी
को अभिषेक करे |
यदि सप्तम भाव अर्थात जीवन साथी से सम्बन्धित समस्या हो तो
गणेशजी को गुलाब का फूल शहद मे डाल कर चढायें |
यदि अष्टम भाव अर्थात गुप्त धन से सम्बन्धित समस्या हो तो
गंगाजल गणेशजी को चढाये |
यदि नवम भाव अर्थात भाग्य मे संघर्ष हो तो केशर युक्त पुष्प
गणेशजी को चढाये |
यदि दशम भाव अर्थात व्यवसाय की समस्या हो तो 11 लड्डू गणेशजी को चढाये |
यदि एकादशी भाव अर्थात धनागम की समस्या हो तो 5 बदाम मिश्री के साथ गणेशजी को चढाये |
यदि व्यय भाव अर्थात खर्च की समस्या हो तो गणेशजी को १०८
दूर्वा दही मे मिलाकर चढाये |
भगवान गणेश हाथी के मुख एवं पुरुष शरीर युक्त होने से राहू
व केतू के भी अधिपति देव हैं। गणेशजी का पूजन करने से राहू व केतू से संबंधित पीडा
काफी जल्दी दूर होती हैं।
गणेश महोत्सव पर
विशेषतौर दूर्वा चढ़ाकर उनका पूजन-अर्चन करने से हमारे जीवन के समस्त कष्टों का निवारण शीघ्र ही
हो जाता है |
श्रीगणेश को दूर्वा अर्पण करने का मंत्र
'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि।'
भगवान श्री गणेश का नवग्रहों से संबंध
भगवान गणेश सूर्य तेज के समान तेजस्वी हैं। उनका पूजन-अर्चन
करने से सूर्य के प्रतिकूल प्रभाव का शमन होकर व्यक्ति के यश तेज-मान-सम्मान, पितृसुख में वृद्धि होती हैं |
भगवान गणेश चंद्र के समान शांति एवं शीतलता के प्रतिक हैं।
पूजन-अर्चन करने से चंद्र ग्रह अनुकूल होकर मानसिक शांति देते हैं चंद्र माता का कारक ग्रह होने से मातृसुख में वृद्धि होती हैं।
भगवान गणेश मंगल के समान शिक्तिशाली एवं बलशाली हैं।
पूजन-अर्चन करने से साहस, बल, पद और प्रतिष्ठा, नेतृत्व शक्ति , भातृ सुख में वृद्धि होती हैं |
गणेशजी बुद्धि और विवेक के करक ग्रह बुध के
अधिपति देव हैं। विद्या-बुद्धि, वाकशक्ति और तर्कशक्ति प्राप्ति के लिए गणेश जी की आराधना अत्यंत
फलदायी हैं।
भगवान गणेश बृहस्पति(गुरु) के समान उदार, ज्ञानी एवं बुद्धि कौशल में कुशल हैं। गणेशजी का पूजन-अर्चन करने से व्यक्ति के धन- वैभव , सुखी वैवाहिक जीवन
में वृद्धि होती हैं एवं
आध्यात्मिक ज्ञान का विकास होता है
और गुरु से संबंधित पीडा दूर होती हैं |
भगवान गणेश धन, ऐश्वर्य एवं संतान प्रदान करने वाले शुक्र के अधिपति हैं। व्यक्ति को समस्त
भौतिक सुख , सौन्दर्य में
वृद्धि होती हैं शुक्र के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए गणेशजी
की पूजा सर्वश्रेष्ठ हैं |
भगवान गणेश शिव के पुत्र हैं। भगवान शिव शनि के गुरु हैं।
गणेशजी का पूजन करने से शनि से संबंधित पीडा दूर होती हैं।
भगवान गणेश हाथी के
मुख एवं पुरुष शरीर युक्त होने से राहू व केतू के भी अधिपति देव हैं। गणेशजी का
पूजन करने से राहू व केतू से संबंधित पीडा दूर होती हैं।
इसलिये नवग्रह कि शांति मात्र भगवान गणेश के स्मरण से ही हो
जाती हैं। इसमें कोई संदेह नहीं हैं।
जन्म कुंडली में चाहें होई भी ग्रह अस्त हो या नीच हो अथवा
पीडित हो तो भगवान गणेश कि आराधना से सभी ग्रहो के अशुभ प्रभाव दूर होता हैं एवं
शुभ फलो कि प्राप्ति होती हैं।
उपरोक्त उपाय गणपति महोत्सव के समय करने से श्रीगणेश अपने
भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें सुखी जीवन और संपन्नता का आशीर्वाद प्रदान करते
है।
सभी उपाय -- “ ओम् गं गणपतये नमः “ मंत्र के साथ करे
|
श्री गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी 13 सितंबर 2018 को उदित होकर 14.52.20 तक रहेगी फिर पंचमी लगेगी, अत: गुरुवार को गणेश स्थापना दिवस मनाया जाएगा।
इसके बाद 23 सितंबर 2018,
रविवार को अनंत चतुर्दशी है, इस दिन गणेश विसर्जन किया जाएगा।
गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
सुबह : अमृत के चौघड़िया में : 6.04 से 7.41 तक
शुभ के चौघड़िया में : 9.18 से 10.55 तक
चल के चौघड़िया में : 14.09 चतुर्थी रहने तक 14.52.20 तक
12 सितंबर 2018, बुधवार के दिन चंद्रमा के दर्शन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दिन चतुर्थी तिथि 16.45 बजे से लगेगी व चंद्र उदय का समय सुबह 8.34.30 पर होकर चंद्रास्त 20.42.29 तक रहेगा।
13 सितंबर, गुरुवार को
चंद्रोदय 9.32.34 को उदय होकर
चंद्रास्त 21.23.35 तक रहेगा। इस दिन
दोपहर को पंचमी 14.52.21 से लगेगी।
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