"""""पंचक """""
ज्योतिष में अशुभ समय होने पर शुभ कामों को करने की मनाही होती है। इसी के चलते पंचक के समय हर किसी को शुभ करने से रोका जाता है। देखो-देखी लोग इस बात को अपना तो लेते हैं, परंतु पंचक है क्या और इसे अशुभ क्यों माना जाता है इसके बारे में किसी को नहीं पता। तो आइए आज जानते हैं कि आखिर क्यों पंचक को अशुभ कहा जाता है बता दें कि ज्योतिष में पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है। जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा एक राशि में लगभग ढाई दिन रहता है इस तरह इन दो राशियों में चंद्रमा पांच दिनों तक भ्रमण करता है। इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है। अतः ये पांच दिन पंचक कहे जाते हैं।
पंचक
इतना तो सब जानते ही हैं कि हिंदू संस्कृति में प्रत्येक काम को करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है, जिसमें पंचक सबसे महत्वपूर्ण है। जब भी कोई काम प्रारंभ किया जाता है तो उसमें शुभ मुहूर्त के साथ पंचक का भी विचार किया जाता है। नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें अंतिम के पांच नक्षत्र दूषित माने गए हैं। ये नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र चार चरणों में विभाजित रहता है। पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक रहता है। हर दिन एक नक्षत्र होता है इस लिहाज से धनिष्ठा से रेवती तक पांच दिन हुए। ये पांच दिन पंचक होता है।
पंचक यानि पांच। माना जाता है कि पंचक के दौरान यदि कोई अशुभ काम हो तो उनकी पांच बार आवृत्ति होती है। इसलिए उसका निवारण करना आवश्यक होता है। पंचक का विचार खासतौर पर किसी की मृत्यु के समय किया जाता है। माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक के दौरान हो तो घर-परिवार में पांच लोगों पर मृत्यु के समान संकट रहता है। इसलिए जिस व्यक्ति की मृत्यु पंचक में होती है उसके दाह संस्कार के समय आटे-चावल के पांच पुतले बनाकर साथ में उनका भी दाह कर दिया जाता है। इससे परिवार पर से पंचक दोष समाप्त हो जाता है। शास्त्रों में पंचक के दौरान कुछ कामों को करने की मनाही रहती है। उन्हें भूलकर भी इस दौरान नहीं करना चाहिए।
नवंबर और दिसंबर 2019 में पंचक-
हर 27 दिन बाद नक्षत्र की पुनरावृत्ति होती है इस लिहाज से पंचक हर 27 दिन बाद आता है। यहां आगामी महीनों में आने वाले पंचकों की जानकारी दी जा रही है।
5 नवंबर सायं 4.47 से 10 नवंबर 5.17 तक
2 दिसंबर रात्रि 12.57 से 7 दिसंबर रात्रि 1.29 तक
स्थानीय सूर्यादय, सूर्यास्त के अनुसार इन समयों में परिवर्तन संभव है। इसलिए पंचक का विचार करते समय स्थानीय पंचांगों और ज्योतिषियों की सलाह ज़रूर लें
ज्योतिष में अशुभ समय होने पर शुभ कामों को करने की मनाही होती है। इसी के चलते पंचक के समय हर किसी को शुभ करने से रोका जाता है। देखो-देखी लोग इस बात को अपना तो लेते हैं, परंतु पंचक है क्या और इसे अशुभ क्यों माना जाता है इसके बारे में किसी को नहीं पता। तो आइए आज जानते हैं कि आखिर क्यों पंचक को अशुभ कहा जाता है बता दें कि ज्योतिष में पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है। जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा एक राशि में लगभग ढाई दिन रहता है इस तरह इन दो राशियों में चंद्रमा पांच दिनों तक भ्रमण करता है। इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है। अतः ये पांच दिन पंचक कहे जाते हैं।
पंचक
इतना तो सब जानते ही हैं कि हिंदू संस्कृति में प्रत्येक काम को करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है, जिसमें पंचक सबसे महत्वपूर्ण है। जब भी कोई काम प्रारंभ किया जाता है तो उसमें शुभ मुहूर्त के साथ पंचक का भी विचार किया जाता है। नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें अंतिम के पांच नक्षत्र दूषित माने गए हैं। ये नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र चार चरणों में विभाजित रहता है। पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक रहता है। हर दिन एक नक्षत्र होता है इस लिहाज से धनिष्ठा से रेवती तक पांच दिन हुए। ये पांच दिन पंचक होता है।
पंचक यानि पांच। माना जाता है कि पंचक के दौरान यदि कोई अशुभ काम हो तो उनकी पांच बार आवृत्ति होती है। इसलिए उसका निवारण करना आवश्यक होता है। पंचक का विचार खासतौर पर किसी की मृत्यु के समय किया जाता है। माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक के दौरान हो तो घर-परिवार में पांच लोगों पर मृत्यु के समान संकट रहता है। इसलिए जिस व्यक्ति की मृत्यु पंचक में होती है उसके दाह संस्कार के समय आटे-चावल के पांच पुतले बनाकर साथ में उनका भी दाह कर दिया जाता है। इससे परिवार पर से पंचक दोष समाप्त हो जाता है। शास्त्रों में पंचक के दौरान कुछ कामों को करने की मनाही रहती है। उन्हें भूलकर भी इस दौरान नहीं करना चाहिए।
नवंबर और दिसंबर 2019 में पंचक-
हर 27 दिन बाद नक्षत्र की पुनरावृत्ति होती है इस लिहाज से पंचक हर 27 दिन बाद आता है। यहां आगामी महीनों में आने वाले पंचकों की जानकारी दी जा रही है।
5 नवंबर सायं 4.47 से 10 नवंबर 5.17 तक
2 दिसंबर रात्रि 12.57 से 7 दिसंबर रात्रि 1.29 तक
स्थानीय सूर्यादय, सूर्यास्त के अनुसार इन समयों में परिवर्तन संभव है। इसलिए पंचक का विचार करते समय स्थानीय पंचांगों और ज्योतिषियों की सलाह ज़रूर लें
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