बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज़ है,मगर मौत का कोई इलाज़ नहीं दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा ए खुदाई नहीं लाल किताब है ज्योतिष निराली जो किस्मत सोई को जगा देती है फरमान दे के पक्का आखरी दो लफ्ज़ में जेहमत हटा देती है

Thursday 18 August 2022

जानिए कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त।



 


🌺🚩पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाती है। ये तिथि इस बार 18 एवं 19 अगस्त दोनों को पड़ रही है किंतु समयानुसार अलग अलग जगह अलग अलग मुहूर्तों में मनायी जा रहीं। 19 तारीख को सूर्योदय कालिक अष्टमी तिथि और रात्रि में रोहिणी नक्षत्र मिलने से वाराणसी पंचांग के अनुसार इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।


🕉️🚩इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं। भजन-कीर्तन करते हैं। विधिपूर्वक कृष्ण भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। कृष्ण भगवान के जन्म की कथा सुनी जाती है। लोग अपने घरों को सजाते हैं। इस दिन कृष्ण जी के मंदिरों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। कई जगह कृष्ण जी की लीलाओं का प्रदर्शन भी किया जाता है। क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था इसलिए रात में ही भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को नहलाया जाता है और उन्हें नए वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। इस दिन बाल गोपाल को पालने में झुलाने की भी परंपरा है।


🪷खीरा, शहद, पीले या लाल रंग का साफ़ कपड़ा, दूध, दही, एक साफ़ चौकी, पंचामृत, गंगाजल, बाल कृष्ण की मूर्ति, चंदन, धूप, दीपक, अगरबत्ती, अक्षत, मक्खन, मिश्री, तुलसी का पत्ता, और भोग की सामग्री।


🕉️💐इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर के मंदिर को अच्छे से साफ कर लें। फिर एक साफ चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और चौकी पर बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें। इस दिन बाल गोपाल की अपने बेटे की तरह सेवा करें। उन्हें झूला झुलाएं। लड्डू और खीर का भोग लगाएं। रात 12 बजे के करीब भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा करें। उन्हें घी, मिश्री, माखन, खीर इत्यादि चीजों का भोग लगाएं। कृष्ण जी के जन्म की कथा सुने। उनकी आरती उतारें और अंत में प्रसाद सबको वितरित कर दें।


👉-भगवान कृष्ण का मूल मंत्र

'कृं कृष्णाय नमः'


👉-धन-धान्य में वृद्धि करने वाला मंत्र

'क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः'


👉-मनोवाछिंत फल की प्राप्ति के लिए मन्त्र

'ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा'*


⚜️🌺जन्माष्टमी के अवसर पर रात में भगवान के जन्मोत्सव से कुछ देर पूर्व पूजा की थाल सजा कर रख दें। पूजा की प्रक्रिया शुरु कर दें। जन्म के बाद श्री कृष्ण के बाल गोपाल रूपी प्रतिमा को पहले दूध, दही, शक्कर से स्नान कराएं इसके बाद घी का लेप लगाएं।


🔹🌻इस दिन आप फलाहार या जलाहार व्रत रख सकते हैं। व्रत के दौरान सात्विक रहें और शाम की पूजा करने से पहले एक बार जरूर स्नान करें। फलों में आप तरबूज, खरबूज, ककड़ी, बैर आदि का सेवन कर सकते हैं।


🌷😊इस पावन दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा के साथ ही गाय की भी पूजा करनी चाहिए। पूजा स्थल पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखें। पूजा स्थल साफ़ सुथरा और शांत होना चाहिए। पूजा में केवल गाय के दूध, दही, मक्खन और घी का ही इस्तेमाल करें। भगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करवाए।


🌺👉श्रीकृष्ण भक्तों को सुबह उठकर स्नान से निवृत्त हो जाना चाहिए। उसके बाद घर के मंदिर की साफ -सफाई करना चाहिए। अब पूजा स्थल पर खड़े होकर व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए। दिन भर व्रत रखकर रात को पूजा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की प्रतिमा स्थापित पर कर विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। अब भगवान के सामने दीप प्रज्वलित करें। अब लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं और उन्हें मिश्री, मेवा का भोग लगाएं। अंत में लड्डू गोपाल की आरती करें।

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