LKA 19/7/2023
भारतीय ज्योतिष में ग्रहों के कष्टों से निवारण हेतु तुलादान करना एक सशक्त एवं फलदाई उपाय बताया गया है ।
तुला दान का मतलब है अपनी देह के बराबर भजन की ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का तौलकर दान करना। पकउ।।
कब किस ग्रह का तुला दान करना चाहिए
यदि कोई ग्रह कुंडली में कारक अथवा मारक है और उस ग्रह की दशाएं या गोचर में वह ग्रह प्रभावित कर रहा है तब तब उस ग्रह को कदापि बलवान न किया जाए, उसका शांति जा या फिर दान करना चाहिए।। इसके विपरीत कभी भी लग्नेश भागेश अथवा कुंडली के कारक ग्रह का तुलादान कदापि नहीं करना चाहिए।।पकउ।।
क्या क्या तुलादान करें
विभिन्न परिस्थितियों संबंधित ग्रह के अनुसार तुलादान करें जैसे:-
1️⃣ सूर्य का:- सूर्य यदि कुंडली में अशुभ फलदाई है और उसका दशांतर है।। परंतु मेष, सिंह लग्न या कारक सूर्य वालों को ये दान उचित नहीं है।
तब गुड, लाल अन्न , लाल दालें, अनार फल , सोना या पीतल धातु का "तुलादान" करें।।
ये दान वृद्ध "पिता तुल्य" ब्राह्मण को देना अधिक लाभदायक होगा।।
2️⃣ चंद्र का:- चंद्र यदि कुंडली में अकारक या मारक होकर बलवान है तब इसका तुलादान करना उचित है परंतु कर्क , वृश्चिक लग्न वाले या फिर जिनका चंद्र कारक ग्रह है अथवा क्षीण चंद्र, अमावस्या दोष आदि योग वालों को यह दान करना उचित नहीं है।
चंद्र के लिए शर्करा, श्वेत अन्न , धुली दालें, दुग्ध, चांदी धातू आदि का "तुलादान" करना चाहिए।।
दान वृद्ध "माता तुल्य" ब्राह्मणी, अथवा बेसहारा स्त्रियों का देना हितकर रहेगा।।
3️⃣ मंगल का:- यदि कुंडली मांगलिक है, मंगल अकारक या मारक है, और साथ में बलवान भी है....
तब गुड , तांबा धातु, लाल धान्य, लाल मसूर, लाल फल आदि का "तुलादान" करना चाहिए।
ये दान मित्र-ब्राह्मण, तपस्वी, हनुमानजी मंदिर, सेना के धर्मगुरू, राजगुरु, शस्त्र शिक्षक आदि को देना श्रेष्ठ है।
4️⃣ बुध का:- अकारक मारक होकर वलवान बुध के लिए भी "तुलादान" करना उचित रहेगा।।
धान्य, हरी दाल, हरे मीठेफल, स्वर्ण, धृत , हरी बस्तुऐं (चारा आदि) तुलादान कर सकते हैं।
ये दान वैदिक विद्यार्थी, गणिताचार्य, ज्योतिषाचार्य, गणेश जी मंदिर, अथवा बहन-बुआ आदि को देना सर्वोत्तम हैं। पकउ।।
5️⃣ गुरू का:- अकारक , मारक वलवान गुरु, ब्रह्मश्राप अथवा गुरूश्राप योग, में गुरू के लिए "तुलादान" कर सकते हैं...
गैहू धान्य, पीली दाल, पीली धातू, धृत, पीले फल, मिठाई आदि से "तुलादान" लाभप्रद रहेगा।।
ये दान गुरू, ब्राह्मण, विद्वान, वैद्य, शिक्षक, ज्ञानीजनों आदि को देना श्रेयकर है।
6️⃣ शुक्र का:- यदि शुक्र अकारक मारक होकर वलवान हो तब तुलादान कर सकते हैं, परंतु कुंडली में कारक अथवा निर्वल शुक्र मे कदापि ये दान ना करें।।
चावल, धुली सफेद दाल, वस्त्र, प्लेटेनियम या चांदी धातु, सौन्दर्य सामग्री, आदि से "तुलादान" बहुत ही सौभाग्य बर्धक है।
ये दान तंत्राचार्य ब्राह्मण, यज्ञाचार्य, ज्योतिषाचार्य, वास्तुविद, वैद्य आदि ब्राह्मणों को देना सर्वोत्तम रहता है।
7️⃣ शनी का:- यदि अकारक मारक होकर वलवान हो, साढ़े साती- ढैया आदि का रात्रि कालीन जन्म हो, उसकी दशांतर या साढ़ेसाती-ढैया पीड़ित कर रही हो तब ये तुलादान उचित है....
सप्तधान्य, सतरंगी दालें, काले तिल-सरसों, काले उर्द, स्टील "लोहा" , सरसों का तेल, आदि से तुलादान करना उचित है।
ये दान जोषी "शनीदान मांगने वाले" , दीन-हीन, भिकारी, कोढी, रोगी, मजदूर या शनी उपासकों को देना चाहिए।
8️⃣ राहु-केत का:- दोषपूर्ण अकारक वलवान राहु-केतु होने पर अशुभ गोचर स्थिति में, और इसकी दशांतर में राहु-केतु का भी तुलादान हितकर रहेगा।।
पंचधान्य, पचरंगी दालें, पचरंगी मिठाई, पाच फल, पाच प्रकार के तेल, हवन सामग्री, पांच धातु या कांसा, आदि से तुलादान बहुत श्रेष्ठ फलदाई होता है।
ये दान जोषी "शनी का दान लेने वाले" , मलिन भिकारी, अथवा सफाई कर्मचारियों को देना सर्वाधिक फलदाई रहता है।
विशेष नोट :-
जिस ग्रह की जो भी वस्तुएं लिखी हैं उन सभी कै मिलाकर अपने बजन बराबर तौलकर दान देना सर्वोत्तम लाभकारी होता है। वैसे सामर्थ्य अनुसार किसी एक वस्तु का भी तुलादान लाभप्रद होता।। पकउ।।
कुंडली में लग्नेश या उसका मित्र ग्रह, कारक, भाग्येश, सुखेश आदि ग्रहों का किसी भी दशा में तुलादान करना कदापि उचित नहीं हैं (उनका रत्न-औषधी धारण करना, जाप अनुष्ठान करना ही उचित रहता है।)पकउ।।
दान करें धन ना घटे, पाप किए घट जाए।।
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