“ॐ नमः शिवाय”☘️
धर्मग्रंथों के अनुसार “ॐ नमः शिवाय” के जप से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं एवं इस मंत्र के जप से आपके सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और शिवजी की असीम कृपा प्राप्त होती है।
भगवान शिव का वार सोमवार माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवार के दिन भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे क्लेशों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूर्ण होती है। यह भी मान्यता है कि सोमवार के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध, गंगाजल चढ़ाने एवं रुद्राक्ष की माला से "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप 108 बार करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।।
शिवपूजा का सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय',जो प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है, भगवान शिव को शीघ्र ही प्रसन्न कर देता है। हृदय में 'ॐ नमः शिवाय' का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभकार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है।
🔹पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करता है यह मंत्र-:
शिव पुराण के अनुसार इस मंत्र के ऋषि वामदेव हैं एवं स्वयं शिव इसके देवता हैं। नमः शिवाय की पंच ध्वनियाँ सृष्टि में मौजूद पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि बनी है और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाती है। भगवान शिव सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देव माने जाते हैं। क्रमानुसार 'न' पृथ्वी, 'मः'पानी, 'शि'अग्नि, 'वा' प्राणवायु और 'य' आकाश को इंगित करता है।शिव के पंचाक्षर मंत्र से सृष्टि के पांचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है।।
🔹मंत्र का महत्व-:
धर्मग्रंथों के अनुसार “ॐ नमः शिवाय” के जप से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं एवं इस मंत्र के जप से आपके सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आप पर शिवजी की असीम कृपा बरसने लगती है। स्कन्दपुराण में कहा गया है कि-'ॐ नमः शिवाय 'महामंत्र जिसके मन में वास करता है, उसको सभी मंत्र, तीर्थ, तप व यज्ञों का स्वत ही शुभ फल मिल जातें है। यह मंत्र मोक्ष प्रदाता है,पापों का नाश करता है और साधक को लौकिक, परलौकिक सुख देने वाला है।।
🔹मंत्र जप की विधि-:
• भगवान शिव के "ऊं नमः शिवाय" मंत्र का जप कोई भी कर सकता है, और किसी भी समय, किसी भी अवस्था में किया जा सकता है। इस मंत्र जप के लिए किसी भी प्रकार की कोई वर्जनाएं नहीं है। इस मंत्र को आप चलते-फिरते भी निरंतर जप सकते हैं।
• विशेष मनोकामना व सिद्धि हेतु इस मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से शिव मंदिर में, किसी नदी के पास या पीपल व बरगद के पेड़ के नीचे या कोई एकांत स्थान में बैठकर भी कर सकतें है।।
• भगवान शिव की पूजा- उपासना व शिव को जल अर्पित करते समय भी "ऊं नमः शिवाय" मंत्र का जप ही श्रेष्ठ है।
• ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, यह मंत्र सुख- समृद्धि व स्वास्थ्य लाभ भी देता है।
• इस मंत्र का जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।।
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