बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज़ है,मगर मौत का कोई इलाज़ नहीं दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा ए खुदाई नहीं लाल किताब है ज्योतिष निराली जो किस्मत सोई को जगा देती है फरमान दे के पक्का आखरी दो लफ्ज़ में जेहमत हटा देती है

Saturday 30 March 2024

होली के 7 दिनों बाद शीतला सप्तमी मनाई जाती है। कुछ लोग शीतला अष्टमी भी मनाते हैं। शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहा जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है।



 ⚛️शीतला सप्तमी-बसौड़ा⚛️

               शीतला माता पूजन मुहूर्त-: 01 अप्रैल 2024, सोमवार प्रातः सूर्य उदय से पहले-पहले।

🔸होली के 7 दिनों बाद शीतला सप्तमी मनाई जाती है। कुछ लोग शीतला अष्टमी भी मनाते हैं। शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहा जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। 

🔸शीतला सप्तमी इस साल 01 अप्रैल, सोमवार को है। इसे शीतला सप्तमी और बसौड़ा भी कहा जाता है। जो लोग शीतला सप्तमी पर माता शीतला की पूजा करते हैं वे 01 अप्रैल, सोमवार के दिन शीतला माता का पूजन करेंगे।

🔸बसौड़े पर शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। माता का प्रसाद एक दिन पहले अर्थात 31 मार्च, रविवार को तैयार करके रख लिया जाएगा और दूसरे दिन 01 अप्रैल, सोमवार को प्रातः काल जल्दी माता को प्रसाद का भोग लगाया जाएगा।

 इस दिन बासी खाने का भोग माता शीतला को लगाया जाता है। शीतला माता ठंडक प्रदान करने वाली देवी है। होली के बाद मौसम में बदलाव आने लगता है। हल्की ठंड भी खत्म होने लगती है और गीष्म ऋतु का आगमन होता है। ऐसे में वातावरण में ठंडक की आवश्यकता होती है क्योंकि भीषण गर्मी में त्वचा सम्बधी रोग का खतरा बना रहता है। इस कारण मान्यता है कि माता शीतला का व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से चेचक, चर्म रोग की बीमारियां दूर रहती हैं और शीतला माता का आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।

♦️शीतला सप्तमी या बसौड़े की पूजन विधि-: 

शीतला सप्तमी दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। आप अगर सूर्य निकलने से पहले बसौड़ा पूज लेते हैं, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्न्नान कर लें। इसके बाद माता शीतला के मंदिर में जाकर विधि-विधान के साथ पूजा करें। कुछ लोग होलिका दहन वाली जगह पर भी बसौड़ा पूजते हैं। आप अपनी मान्यता अनुसार किसी भी जगह माता शीतला का ध्यान करके पूजा कर सकते हैं। सबसे पहले माता शीतला की पूजा करें। उन्हें जल चढ़ाएं, इसके बाद गुलाल, कुमकुम अर्पित करें। इसके बाद बासी भोजन जैसे पूडे, मीठे चावल, खीर, मिठाई का भोग माता शीतला को लगाएं।

बसौड़ा पूजते समय 3 बातों का खास ख्याल रखें-:

1. माता शीतला को हमेशा ठंडे खाने का भोग ही लगाया जाता है।

2. माता शीतला की पूजा करते समय दीया, धूप या अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए।

3. शीतला माता की पूजा में अग्नि को किसी भी तरह से शामिल नहीं किया जाता है।

मंदिर या होलिका दहन स्थल पर पूजा करने के बाद अपने घर में आकर प्रवेश द्वार के बाहर स्वास्तिक जरूर बनाएं।।

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ज्योतिष व मुहूर्त संबंधित परामर्श के लिए संपर्क कर सकते हैं-: 9911342666

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