बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज़ है,मगर मौत का कोई इलाज़ नहीं दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा ए खुदाई नहीं लाल किताब है ज्योतिष निराली जो किस्मत सोई को जगा देती है फरमान दे के पक्का आखरी दो लफ्ज़ में जेहमत हटा देती है

Saturday 16 February 2013

आश्चर्यजनक शिव कचेहरी मंदिर

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प्रयाग की धरती पर स्थित प्रत्येक देवालय की अपनी विशेषता है और इसी श्रृंखला का मंदिर है शिवकुटी महादेव मंदिर के समीप का शिव कचेहरी मंदिर। मंदिर में विभिन्न आकार प्रकार के 206 शिवलिंग स्थापित हैं। और इसी कारण मंदिर का नाम भी शिव कचेहरी पड़ गया। लिंगों में एक ऐसा भी अद्भूत, आश्चर्यजनक व चमत्कारिक विग्रह है जो वर्ष में दो से तीन बार अपना रंग बदलता है।विग्रहों के रंग भी अलग अलग हैं।

 शिव कचहेरी मंदिर की पहचान बगल के मंदिर शिवकुटी व श्री सत्यनारायण मंदिर से सुलभता से होती है। यहां तक पहुंचने के लिए इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से गोविंदपुर-अपट्रान चौराहा मार्ग की टेंपो पकड़नी होगी। चौराहे पर उतर कर चंद कदम दूर स्थित मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

सर्वविदित तथ्य है कि सन 1825 में नेपाल से आए राजा राना जंग बहादुर ने मंदिर की स्थापना की। उनकी 306 रानियां थी और प्रत्येक रानी ने एक एक शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की। कालांतर में तमाम विग्रह इधर-उधर हो गए। वर्तमान समय में 280 शिवलिंग अवस्थित हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं जिनका बाहरी रंग हल्का हार प्रतीत होता है। कुछ पर चंद्राकार तथा कुछ पर नागराज का निशान बना हुआ है। प्रत्येक शिव तिथि पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। महाशिवरात्रि पर यहां विशाल मेला लगता है।





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