बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज़ है,मगर मौत का कोई इलाज़ नहीं दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा ए खुदाई नहीं लाल किताब है ज्योतिष निराली जो किस्मत सोई को जगा देती है फरमान दे के पक्का आखरी दो लफ्ज़ में जेहमत हटा देती है

Monday 11 February 2013

ज्योतिष की अनूठी शैली नाड़ी ज्योतिष

अंतर्गत लेख:





भगवान शंकर के गण नंदी द्वारा जिस ज्योतिष विधा को जन्म दिया गया उसे नंदी नाड़ी ज्योतिष के नाम से जाना जाता है। नंदी नाड़ी ज्योतिष मूल रूप से दक्षिण भारत में अधिक लोकप्रिय और प्रचलित है। इस ज्योतिष विधा में ताल पत्र पर लिखे भविष्य के द्वारा ज्योतिषशास्त्री फल कथन करते हैं।

 ताड़पत्रों पर संग्रहित प्राचीन ज्योतिष विद्या

नाड़ी का अध्ययन करने वाले ज्योतिषी आपके अँगूठे पर बनी विभिन्न रेखाओं को भलीभाँति पढ़कर उनका नाड़ी-पत्रों के आधार पर अध्ययन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि किसी व्यक्ति के अँगूठे पर मानक रूप से कुल 108 रेखाएँ होती हैं। ये ताड़-पत्र इन रेखाओं के प्रकारों के अनुसार ही सँजोए गए हैं। कई बार तो अँगूठों पर बने चिह्नों के आधार पर नाड़ी-पत्रों के विश्लेषण के आधार पर भारतीयों के साथ-साथ विदेशी मूल के लोगों के भविष्य का भी पता लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि विश्व के 40 प्रतिशत लोगों के भविष्य का पता लगाने के लिए ताड़-पत्र उपलब्ध हैं। बाकी ताड़-पत्र समय के साथ-साथ आज अध्ययन की हालत में नहीं हैं।

नाड़ी-जोशियम के अंतर्गत ज्योतिषी ताड़-पत्रों के समूह में से एक ताड़-पत्र निकालता है और व्यक्ति से उसके व्यक्तिगत जीवन से संबंधित कुछ प्रश्न करता है। आपको सिर्फ ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में उन प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। यदि आपके उत्तर उस नाड़ी-पत्र से नहीं मिलेंगे तो वह उस पत्र को छोड़कर दूसरा पत्र उठाएगा और इस प्रक्रिया को दोहराएगा। यह प्रक्रिया तब तक चलेगी, जब तक आपके उत्तरों के अनुकूल नाड़ी-पत्र नहीं मिल जाएगा। इस प्रकार इस विधि द्वारा केवल एक व्यक्ति का भविष्यफल जानने में कई घंटे व्यतीत हो जाते हैं।

नाड़ी ज्योतिष की विधि भविष्य कथन

कोई अपना भविष्य जानने के लिए के लिए ज्योतिषशास्त्री के पास जाते हैं। तब सबसे पहले पुरूष से उनके दायें हाथ के अंगूठे का निशान और महिलाओं से बाएं हाथ के अंगूठे का निशान लेते हैं। इसके बाद कुछ ताड़पत्र प्रशनकर्ता के सामने रखा जाता है और प्रशनकर्ता से नाम का पहला और अंतिम शब्द पूछा जाता है। प्रशनकर्ता के नाम से जिस जिस ताड़पत्र का मिलाप होता है उससे कुछ अन्य प्रश्न और माता पिता अथवा पत्नी के नाम का मिलाप किया जाता है। जिस भी ताड़पत्र से प्रशनकर्ता के जीवन का मिलाप होता है उसे ज्योतिषशास्त्री पढ़कर प्रशनकर्ता भविष्य कथन करते हैं।
नाड़ी ज्योतिष की विशेषता नाड़ी ज्योतिष की प्रमुख विशेषता यह है कि अगर प्रशनकर्ता को अपनी जन्मतिथि, जन्म नक्षत्र, वार, लग्न का पता होता है तो वह आसानी से ताड़पत्री तलाश कर पाते हैं। यह विधि उनके लिए भी उत्तम है जिन्हें अपनी जन्मतिथि एवं जन्मसमय की जानकारी नहीं होती है। अगर प्रशनकर्ता को भी अपनी जन्म तिथि एवं जन्म समय की जानकारी है तो भी इस विधि से वह अपना भविष्यफल जान सकते हैं। इस विधि से प्रशनकर्ता यह भी जान सकता हैं कि उसकी जन्मतिथि एवं समय क्या है।

अन्य ज्योतिष विधि से अलग इसकी एक और मुख्य विशेषता यह है कि अन्य ज्योतिष विधि में बारह भाव होते हैं जिनसे फलादेश किया जाता है जबकि नंदी नाड़ी ज्योतिष विधि में सोलह भाव होते हैं। नंदी नाड़ी ज्योतिष में दिन और निश्चित समय में होने वाली घटनाओं का जिक्र भी किया गया है। निश्चित समय में होने वाली घटनाओं को आधार मानकर इससे पंचाग की सत्यता की भी जांच की जा सकती है।

नाड़ी ज्योतिष विधा को जानने वाले दावा करते हैं कि इसके जरिए किसी भी व्यक्ति का अतीत, वर्तमान और भविष्य पता किया जा सकता है।माना जाता है कि ये ताड़-पत्र करीब 2,000 साल पुराने हैं। किसी भी व्यक्ति के अतीत और भविष्य को जानने का अनोखा तरीका है - नाड़ी ज्योतिष। ज्योतिषियों के अनुसार बहुत सारे विदेशी मुख्य रूप से जापानी लोग भी हमारे केंद्रों में भविष्य जानने आते हैं। किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन के प्रत्येक क्षण की सटीक जानकारी देने की यह विधा उन्हें बहुत प्रभावित करती है।

भारत में नाड़ी जोशियम का मुख्य केंद्र वैथीश्वरन मंदिर है। इसके अलावा चेन्नई के समीप तंबारम और दिल्ली में भी इसके केंद्र हैं। विदेशों से आए कई लोग इस क्रिया से काफी संतुष्ट नजर आते हैं। जब हम अपने साथी के साथ ऐसे ही एक ज्योतिष केंद्र में पहुँचे तो हमारे साथ क्या हुआ। क्या हम अपना भविष्य जान पाए। क्या हमारे अँगूठे के निशान वाला ताड़ पत्र मिल पाया। यह सब जानने के लिए देखें, नाड़ी ज्योतिष केंद्र पर बनाया गया हमारा कल क्या होगा? क्या हम तरक्की करेंगे। बच्चे का स्वास्थ्य तो ठीक होगा न जाने ऐसी कितनी ही बातें हैं, जिन्हें हम जानना-समझना चाहते हैं। वर्तमान में रहते हुए भविष्य के गर्भ में छिपे राज जानना चाहते हैं और इसके लिए ज्योतिषियों के चक्कर काटते हैं।

अगर अन्य ज्योतिष विधि से प्राप्त फलादेश का नंदी नाड़ी ज्योतिष विधि से मिलान करें तो भविष्य में आपके साथ होने वाली घटनाओं के विषय में निश्चित जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं। नाड़ी ज्योतिष में विश्वास को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। अगर प्रशनकर्ता को नाड़ी ज्योतिष पर पूर्ण विश्वास है तभी उसको इस विधि से भविष्य फल जानना चाहिए। अगर ग्रहों की पीड़ा निदान भी प्रशनकर्ता को इस विधि से पता हैं तो उसे प्रशनकर्ता को सत्य मानकर जो उपाय बताए गये हैं उसका पालन करना होता है। मान्यताओं के अनुसार अगर बताये गये उपाय पर अविश्वास कर उसका पालन नहीं करते हैं तो ग्रहों की पीड़ा बढ़ सकती है।

नाड़ी’ शब्द का तमिल में अभिप्राय ‘खोज’ है। इस विधा का नाम ‘नाड़ी’ इसलिए है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तिगत जीवन के विषय में सारी खोजों का निष्कर्ष अपनी ही नाड़ी में प्राप्त करता है। ताड़-पत्रों पर लिखे ये अभिलेख भारतवर्ष के कोने-कोने में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ अभिलेख तमिलनाडु में मिले, जिसके गहन अध्ययन से पता चला कि ये अभिलेख दक्षिण भारत के प्रसिद्ध चोल वंश के काल में लगभग हजार साल पहले बनवाए गए थे। प्रत्येक ‘नाड़ी’ प्राचीन तमिल भाषा की लिपि में बनाई गई है। इन ताड़-पत्रों को सुरक्षित रखने के लिए इनके ऊपर मोर पंखों के तेल का लेप लगाया जाता है। इस तेल के कारण ही यह ताड़-पत्र हजारों साल बाद भी अभी तक संरक्षित हैं। वर्तमान में सबसे प्राचीन ताड़-पत्र तमिलनाडु के तंजौर जिले के सरस्वती महल संग्रहालय में संरक्षित हैं।
समय गुजरने के साथ-साथ इस संग्रहालय में रखे हुए कई ताड़-पत्र नष्ट हो गए। वहीं अँग्रेजों द्वारा करवाई गई कुछ ताड़-पत्रों की नीलामी में वैथीश्वरन मंदिर के कुछ परिवारों ने इन पत्रों को खरीदकर इनका अध्ययन किया। फिर उनकी पीढ़ियों ने इस काम को पुरखों का आशीर्वाद मानकर आगे बढ़ाया।




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