जिसने जन्म लिया है उसे एक दिन अवश्य ही मरना है। जीवन का एक अटल सत्य है मौत। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा आत्मा अमर है और यह शरीर नश्वर है। इसी बात से सिद्ध है कि मृत्यु को रोका नहीं जा सकता है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु का सटिक समय भी कोई बता नहीं सकता। शास्त्रों में मृत्यु के संबंध में कुछ आवश्यक बातें बताई गई हैं-
यदि कोई व्यक्ति के मरने जैसी स्थिति में है तो उसके मस्तक पर चंदन का तिलक लगा दिया जाए और वह तिलक जल्दी सुख जाए तो ऐसा माना जाता है कि वह व्यक्ति जल्दी नहीं मरेगा। इसके विपरित यदि चंदन का तिलक काफी देर तक ना सुखे तो इसका मतलब यही है कि वह व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो सकता है।
क्योंकि मरने वाले व्यक्ति के मस्तक की गर्मी चले जाती है और उसका मस्तक ठंडा हो जाता है। इसी वजह से चंदन का तिलक जल्दी नहीं सुखता।
यदि किसी व्यक्ति की स्थिति मरने जैसी हो गई है तो उसके सिर के पास गीता रखना चाहिए। इससे उसे मृत्यु के समय किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता। भगवान श्रीहरि की कृपा बनी रहती है।
दाह संस्कार के समय गीता को गंगा या किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
शव के दाह संस्कार के समय मृतक के गले में यदि तुलसी की माला हो तो वह नहीं निकालना चाहिए।
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