🌞~ पंचांग ~🌞
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⛅दिन - शुक्रवार
⛅विक्रम संवत् - 2079
⛅शक संवत् - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - हेमंत
⛅मास - मार्गशीर्ष
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅तिथि - दशमी 03 दिसम्बर प्रातः 05:39 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद प्रातः 05:45 तक तत्पश्चात रेवती
⛅योग - वज्र सुबह 07:30 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅राहु काल - सुबह 11:08 से 12:29 तक
⛅सूर्योदय - 07:04
⛅सूर्यास्त - 05:54
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:19 से 06:12 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:03 से 12:56 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - दशमी को कलम्बिका शाक खाना सर्वथा त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 कैसे मनायी जाती है 'गीता जयंती' ? 🌹
🌹 श्रीमद्भगवद्गीता को सुंदर, ऊँचे आसन पर स्थापित करके पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें ।
🌹 गीता-माहात्म्य पढ़ने के बाद पाठ करें ।
🌹 प्रतिदिन कम-से-कम एक श्लोक पढ़ने का संकल्प अवश्य करें तथा करायें ।
🌹 श्रीमद् भगवद् गीता - महिमा 🌹
👉 गीता के श्लोक के पाठ से, भगवान के स्मरण और कीर्तन से तथा आत्मतत्त्व में विश्रांतिप्राप्त संत के दर्शनमात्र से करोड़ों तीर्थ करने का फल प्राप्त होता है ।
👉 जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए गीता एक अद्भुत ग्रंथ है । भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : गीता मे हृदयं पार्थ… गीता मेरा हृदय है अर्जुन ।
👉 सम्पूर्ण विश्व में ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ ही एक ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनायी जाती है ।
👉 गीता जयंती ‘मोक्षदा एकादशी’ के दिन मनायी जाती है । इसी दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को निमित्त बनाकर मनुष्यमात्र को ‘गीता-ज्ञान’ देकर परम सुख, परम शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाया ।
👉 ‘गीता’ का ज्ञान जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति देने वाला है ।
👉 गीता के प्रत्येक अध्याय एवं मात्र एक श्लोक के पाठ का भी बड़ा माहात्म्य है ।
👉 जिस मनुष्य के जीवन में ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ का ज्ञान है, वह संसार की तमाम विघ्न -बाधाओं के बीच भी आनंद से रहता है और अपने परमात्म-पद को पाने में सफल हो जाता है ।
🔹आंत्रपुच्छशोथ (अपेन्डिसायटिस) : आपरेशन की आवश्यकता नहीं
🔹अपेन्डिसायटिस के कारण पेट में असहनीय दर्द उठ रहा हो व शीघ्र आपरेशन कराने की सलाह दी गयी हो, ऐसी अवस्था में भी आपरेशन कराने की आवश्यकता नहीं है । निम्न प्रयोग से एक सप्ताह में ही संपूर्ण राहत मिलती है
🔹७ दिन तक केवल गाय के दूध का सेवन करें
। रात को ५ ग्राम त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। दूध व त्रिफला के सेवन में २ घंटे का अंतर रखें
व प्रतिदिन पादपश्चिमोत्तानासन करें । यह एक अनुभूत प्रयोग है । कई पीड़ितों को इस
प्रयोग से पूर्णतः आराम मिला है । गर्मी के दिन न हों या गर्म न ता हो तो २५-३० ग्राम
गौझरण में थोड़ा पानी मिलाकर खाली पेट लेने से अपेन्डिसायटिस में आराम मिलता है ।
जीवन में सुख है दुःख भी आएगा
मगर दुःख दुखी ना हर दुःख तकलीफ का समाधान लाल किताब मैं आवश्यकता है उनके सरल उपाय करने की एक छोटा उपाय हम समस्या से निजात दिलाने शक्ति रखता है
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आचार्य लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र
वैदिक ज्योतिष व पायरा वास्तु व लाल किताब विशेषज्ञ व एनर्जी हिलर
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