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Wednesday 1 March 2023

आमलकी एकादशी व्रत फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है अबकी बार यह व्रत 3 मार्च 2023 शुक्रवार को रखा जाएगा।



 

     3 मार्च 2023 शुक्रवार 


व्रत का पारण अगले दिन 4 मार्च शनिवार को सुबह 06:43 से सुबह 09:03 तक किया जाएगा।।

आमलकी एकादशी को आमलक्य एकादशी भी कहा जाता है। 

आमलकी का मतलब आंवला होता है, जिसे सनातन धर्म और आयुर्वेद दोनों में श्रेष्ठ बताया गया है। पद्म पुराण के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है। आंवले के वृक्ष में श्री हरि एवं लक्ष्मी जी का वास होता है। आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होने की वजह से उसी के नीचे भगवान का पूजन किया जाता है, यही आमलकी एकादशी कहलाती है। इस दिन आंवले का उबटन, आंवले के जल से स्नान, आंवला पूजन, आंवले का भोजन और आंवले का दान करना काफी लाभकारी बताया गया है।


⚛️आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि-: 

आमलकी एकादशी में आंवले का विशेष महत्व है। इस दिन पूजन से लेकर भोजन तक हर कार्य में आंवले का उपयोग होता है। आमलकी एकादशी की पूजा विधि इस प्रकार है-:

1. इस दिन सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करना चाहिए।

2. व्रत का संकल्प लेने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। घी का दीपक जलकार भगवान विष्णु जी के मंत्रों का जप करना चाहिए व विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं।

3. भगवान विष्णु की पूजा में आंवले का फल भगवान विष्णु को प्रसाद स्वरूप अर्पित करें।

4. आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, पुष्प, आदि से पूजन कर सकते हैं।

5.एकादशी व्रत के दिन केवल फल, दूध इत्यादि का ही सेवन करना चाहिए।

6. एकादशी की व्रत करने वालों को तामसिक भोजन, लहसुन प्याज इत्यादि दशमी तिथि अर्थात व्रत के एक दिन पहले से ही त्याग देना चाहिए।

7. एकादशी तिथि के दिन चावल व चावल से बनी हुई वस्तुओं का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।एकादशी व्रत रखने वाले को किसी किसी भी तरह के अनाज का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

8. एकादशी तिथि के व्रत रखने वालों को ज्यादा से ज्यादा मौन रहना चाहिए, किसी भी तरह की अनर्गल वार्तालाप से बचना चाहिए।

9. एकादशी तिथि का व्रत रखने वाले को ज्यादा से ज्यादा भगवान श्री हरि के नाम व मंत्रों का जप करना चाहिए।

10.भगवान श्री हरि को जब भी किसी वस्तुओं का भोग लगाएं तो उसमें तुलसीदल अवश्य छोड़ें। क्योंकि बिना तुलसीदल के भगवान  भोग ग्रहण नहीं करते।

11. एकादशी व्रत के अगले दिन यानि द्वादशी तिथि को स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन करें, भगवान को सात्विक भोजन का भोग लगाएं और  किसी सात्विक प्रवृत्ति के व्यक्ति को दान दक्षिणा देने के उपरांत व्रत खोलना चाहिए।

🔯आमलकी एकादशी व्रत का महत्त्व-: 

पद्म पुराण के अनुसार आमलकी एकादशी का व्रत करने से सैंकड़ों तीर्थ दर्शन के समान पुण्य प्राप्त होता है। समस्त यज्ञों के बराबर फल देने वाले आमलकी एकादशी व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो लोग आमलकी एकादशी का व्रत नहीं करते हैं वह भी इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करें और स्वयं भी खाएं। शास्त्रों के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन आंवले का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होता है।।



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