बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज़ है,मगर मौत का कोई इलाज़ नहीं दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा ए खुदाई नहीं लाल किताब है ज्योतिष निराली जो किस्मत सोई को जगा देती है फरमान दे के पक्का आखरी दो लफ्ज़ में जेहमत हटा देती है

Tuesday 12 February 2013

जयोतिष की नजर से जाने कैसे पैदा होते हैं किन्नर

अंतर्गत लेख:





किन्नर भारत में एका कौतूहल का विषय हैं। इनके नाजो-नखरे देख अक्सर लोग हंस पड़ते हैं, तो की बेचारे घबरा जाते हैं कि कहीं सरे बाजार ये उनकी मिट्टी पलीद ना कर दें। मगर किन्नर बनते कैसे हैं? इनका जन्म कैसे होता है? अगर आप इनकी जिंदगी की असलियत जान ले तो शायद न किसी को हंसी आए और न ही उनसे घबराहट हो। यह अगर बुधवार के दिन किसी जाति के (स्त्री-पुरुष,बच्चों) को आशीर्वाद दे दें तो उसकी किस्मत खुल जाती है।
सभी धर्मों को आदर- किन्नर सभी समाज को लोगों को आदर देते हैं। किसी के बच्चा हुआ या शादी-विवाह सभी को आशीर्वाद एवं बधाई देने जाते हैं। अनेका त्योहारों पर भी यह बाजार से चंदा एक्त्रित करते हैं।
पांच लाख किन्नर  भारत में किन्नरों की संख्या पांच लाख है। विल्लुपुरम (तमिलनाडु) से गाड़ी से कोई घंटे भर की दूरी तय करने पर गन्ने के खेतों से भरा छोटा सा एका गांव है कूवगम जिसे किन्नरों का घर ज़्हा जाता है। इसी कूवगम में महाभारत काल के योद्घा अरावान का मंदिर है।
संचित, प्रारब्ध और वर्तमान मनुष्य के जीवन का कालचक्र है। संचित कर्मों का नाश प्रायश्चित और औषधि आदि से होता है। आगामी कर्मों का निवारण तपस्या से होता है किन्तु प्रारब्ध कर्मों का फल वर्तमान में भोगने के सिवा अन्य कोई उपाय नहीं है। इसी से प्रारब्ध के फल भोगने के लिए जीव को गर्भ में प्रवेश करना पड़ता है तथा कर्मों के अनुसार स्त्री-पुरुष या नपुंसक योनि में जन्म लेना पड़ता है।
पुरुष और स्त्री की संतानोत्पादन शक्ति के अभाव को नपुंसक्ता अथवा नामदीर कहते हैं। चंद्रमा, मंगल, सूर्य और लग्न से गर्भाधान का विचार किया जाता है। वीर्य की अधिकता से पुरुष (पुत्र) होता है। रक्त की अधिकता से स्त्री (कन्या) होती है। शुक्र शोणित (रक्त और रज) का साम्य (बराबर) होने से नपुंसका का जन्म होता है।
 ग्रहों की कुदृष्टि-
* शनि व शुक्र दशम स्थान में होने पर किन्नर होता है।
* शुक्र से षष्ठ या अष्टम स्थान में शनि होने पर नपुंसका जन्म लेता है।  8. कारज़ंश कुडली में ज़ेतु पर शनि    व बुध की   दृष्टि होने पर किन्नर होता है।
*. शनि व शुक्र पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो अथवा वे ग्रह अष्टम स्थान में हों तथा शुभ दृष्टि से रहित हों तो नपुंसका जन्म लेता है।
 *  शनि व शुक्र अष्टम या दशम भाव में शुभ दृष्टि से रहित हों तो किन्नर (नपुंसक) का जन्म होता है।
 *  छठे, बारहवें भाव में जलराशिगत शनि को शुभ ग्रह न देखते हों तो हिजड़ा होता है।
*  चंद्रमा व सूर्य शनि, बुध मंगल कोई एका ग्रह युग्म विषम व सम राशि में बैठकर एका दूसरे को देखते हैं तो नपुंसका  जन्म होता है।
*  विषम राशि के लग्न को समराशिगत मंगल देखता हो तो वह न पुरुष होता है और न ही कन्या का जन्म।
* शुक्र, चंद्रमा व लग्न ये तीनों पुरुष राशि नवांश में हों तो नपुंसका जन्म लेता है।

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