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Saturday 12 June 2021

नाडी दोष क्या है प्रभाव एंव सरल उपाय

अंतर्गत लेख:


LKA  12/06/2021

विवाह मनुष्य के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार होता है। इस संस्कार में बंधने से पहले वर औरवधु के जन्म कुंडलीका गुण मिलान किया जाता है। इस गुण मिलान करते समय नक्षत्र,अष्टकूटों में नाड़ी को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि जिनके 36 में से 36 गुण मिलते हैं, वह बड़ी ही अच्छी जोड़ी होती है। परन्तु 36 का यह आंकड़ा उनके वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है।

भगवान राम और देवी सीता के 36 गुण मिले थे, लेकिन दोनों का वैवाहिक जीवन कभी सुखमय नहीं रहा। इसलिए गुण मिलवाते समय कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। खासतौर पर यह देखना चाहिए कि वर-वधु दोनों की नाड़ी एक ना हो।

नाड़ी दोष कब नहीं लगता?

2/6नक्षत्रों में ऐसा होने पर नहीं माना जाता नाड़ी दोष

 -यदि दोनों की जन्म राशि एक हो और नक्षत्र अलग-अलग हों तो वर-वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात भी नाड़ी दोष नहीं बनता। -दोनों का जन्मर नक्षत्र एक हो और लेकिन जन्मा राशियां अलग-अलग होने पर वर-वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात भी नाड़ी दोष नहीं बनता।

 नाड़ी दोष में क्या-क्या परेशानियाँ होती है ?

             विवाह के बाद वर-वधु के बीच प्रेम काना होना।

             स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पडता है।

             शादी के बाद दाम्पत्य जोड़ों के बीच आकर्षण कम हो सकता है।

             शादीशुदा जीवन में परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती है।

             संतान से संबंधित परेशानियाँ हो सकती है।

             गर्भपात की समस्या हो सकती है।

             दाम्पत्यम जोड़ों के बीच में गलत फहमी होने की संभावना हो सकती है।

             दाम्पत्यप जोड़ों का तलाक भी हो सकता है।

             विवाह के बाद पुरूष या महिला में से किसी एक या दोनों की मृत्यु हो सकती है।

 जब भी भारत में, विशेष रूप से हिंदू धर्म में विवाह प्रस्ताव पर विचार किया जाता है, तो इसमें सबसे पहले करने वाला महत्वपूर्ण कार्य कुंडली मिलान का होता है। लड़के और लड़की की जन्म कुंडली का मिलान उनके वैवाहिक जीवन की अनुकूलता, सफलता, प्रेम और खुशीयों को जानने के लिए शादी करने से पहले किया जाता है। आठ गुनों या अष्टकूटों में से, सबसे महत्वपूर्ण नाड़ी गुण होता है, जिसे अत्यधिक महत्व दिया जाता है। यदि नाडी दोष किसी जोड़े की कुंडली में मौजूद है, तो उनके बीच विवाह को व्यवहारिक नहीं माना जाता है और आमतौर पर विवाह नहीं किया जाता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, नाडियों के तीन प्रकार हैंः

             आदि नाडी

             मध्य नाडी

             अंत्या नाडी

नाडी दोष क्या है?

शादी करने वाले जोड़े के लिए, उनकी कुंडली या जन्म कुंडली में नाडियाँ अलग-अलग होनी चाहिए। उनकी कुंडली में एक ही प्रकार की नाडियाँ होना नाड़ी दोष का कारण बनती हैं, जिससे दांपत्य जीवन में परेशानी आ सकती है।

नाडी दोष के प्रभाव

नाडी दोष के प्रतिकूल प्रभाव इस दोष की गहनता के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। आमतौर पर होने वाले नकारात्मक प्रभावों में से कुछ इस प्रकार हैं

             परेशानी और समस्याग्रस्त विवाहित जीवन

 •             स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ

 •             दम्पति के बीच कोई प्यार या आकर्षण नहीं होना

 •             कमजोर या विकलांग बच्चों का जन्म

 •             बांझपन की संभावना

 •             नाडी दोष निवारण

नाडी दोष निरस्तीकरण

लड़के और लड़की के जन्म चार्ट में कुछ ज्योतिषीय संयोजन होते हैं, जो नाडी दोष के नकारात्मक प्रभावों को खत्म करते हैं।

दूल्हे व दुल्हन के जन्म चार्ट में समान राशी के समान नक्षत्र होने के परिणामस्वरूप नाडी दोष नहीं माना जाता है।

•             यदि राशी का स्वामी शुक्र, बुध या बृहस्पति है, तो लड़के और लड़की की एक ही नाडी होने पर भी नाडी दोष नहीं माना जायेगा।

•             यदि वर और वधू की कुंडली में एक ही नक्षत्र है लेकिन राशियां अलग-अलग हैं, तो इसे असाधारण नाडी दोष माना जाता है। (लड़की का जन्म राशी और जन्म चरण दूल्हे से पहले नहीं होना चाहिए)।

•             यदि लड़के और लड़की की जन्म राशि एक ही है, लेकिन नक्षत्र अलग-अलग हैं (दुल्हन का नक्षत्र लड़के के नक्षत्र से पहले नहीं हो सकता), तो इस स्थिति में भी नाडी दोष नहीं माना जाता है।

नाडी दोष निवारण

नाड़ी दोष के उपाय :

नाडी दोष एक भयावह ज्योतिषीय संयोजन है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यदि यह दोष मौजूद है, तो व्यक्ति को इसे समाप्त करने के लिए प्रभावी तरीके और उपाय अपनाने चाहिए।

 •  लड़का या लड़की दोनों मध्य नाड़ी के हो, तो पुरुष के प्राणों को भय रहता है। इस स्थिति में पुरुष के प्राणों की रक्षा के लिए महामृत्युंजय जाप करना चाहिए।

   वर या वधु दोनों की नाड़ी आदि या अन्त्य हो, तो स्त्री के प्राणों को खतरा रहता है,इसलिए इस स्थिति मे कन्या के प्राणों की रक्षा करने के लिए महामृत्युंजयका जाप करना चाहिए।

             नाड़ी दोष होने पर संकल्प लेकर किसी ब्राह्मण को गौदान या स्वर्णदान करना चाहिए।

             नाड़ी दोष के प्रभाव को कम करने के लिए आपको अपनी सालगिराह पर अपने वजन के बराबर अन्न दान और ब्राह्मण को भोजन कराकर वस्त्र दान करनेचाहिए।

             नाड़ी दोष निवारण पूजा के द्वारा नाड़ी दोष को हटाया जा सकता है।

•           नाड़ी दोष को दूर करने के लिए विष्णु पूजा कर सकते है।

महा मृत्युंजय जाप

महा मृत्युंजय जाप का अत्यंत भक्ति के साथ जप करना सबसे प्रभावी नाडी दोष निवारण में से एक है।

नाडी दोष निवारण पूजा

नाडी दोष निवारण पूजा इस दोष के नकारात्मक प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकती है। यह एक विशेष पूजा होती है और एक विद्वान पुजारी के मार्गदर्शन में की जानी चाहिए।

दान और परोपकार

अच्छे कर्म भी इस दोष के प्रतिकूल प्रभावों को कम कर सकते हैं। जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े और भोजन दान करना चाहिए। साथ ही, एक या एक से अधिक ब्राह्मण परिवारों को अनाज, कपड़े, गाय और स्वर्ण-नाड़ी भेंट करनी चाहिए।

भगवान विष्णु से विवाह

अपनी कुंडली में नाडी दोष वाली दंपति में, दुल्हन को शादी पहले भगवान विष्णु की मूर्ति से शादी करनी चाहिए। यह उपाय इसके प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकता है।

नाडी दोष होने से दंपति पर कुछ अत्यधिक हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं। एक ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए और एक खुशहाल और सफल विवाहित जीवन सुनिश्चित करने के लिए उनकी कुंडलियों का मिलान करना चाहिए।

अपनी विस्तृत प्राप्त करें ताकि आप जान सकें कि नाडी दोष है या नहीं।

 

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