गोवर्द्धन पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त
गोवर्द्धन पूजा / अन्नकूट की तिथि: 28 अक्टूबर 2019
प्रतिपदा
तिथि प्रारंभ: 28 अक्टूबर 2019 को सुबह 09 बजकर 08 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 29 अक्टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक
हर खुशी आपके द्वार आए
जो आप मांगे उससे अधिक पाएं
गोवर्धन पूजा में कृष्ण गुण गाएं
और ये त्यौहार खुशी से मनाएं
गोवर्धन पूजा 2019 की शुभकामना
गोवर्धन पूजा के मुहूर्त - Govardhan Pooja muhurat timings
सुबह 06:35 से 07:50 तक
सुबह 09:25 से 10:40 तक
गोवर्द्धन पूजा सांयकाल मुहूर्त: 28 अक्टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट
अन्नकूट क्या है?
अन्नकूट पर्व पर तरह-तरह के पकवानों से भगवान की पूजा का विधान है. अन्नकूट यानी कि अन्न का समूह. श्रद्धालु तरह-तरह की मिठाइयों और पकवानों से भगवान कृष्ण को भोग लगाते हैं. मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई. एक और मान्यता है कि एक बार इंद्र अभिमान में चूर हो गए और सात दिन तक लगातार बारिश करने लगे. तब भगवान श्री कृष्ण ने उनके अहंकार को तोड़ने और जनता की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को ही अंगुली पर उठा लिया था. बाद में इंद्र को क्षमायाचना करनी पड़ी थी. कहा जाता है कि उस दिन के बाद से गोवर्धन की पूजा शुरू हुई. जमीन पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा की जाती है.
गोवर्द्धन पूजा / अन्नकूट की तिथि: 28 अक्टूबर 2019
प्रतिपदा
तिथि प्रारंभ: 28 अक्टूबर 2019 को सुबह 09 बजकर 08 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 29 अक्टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक
हर खुशी आपके द्वार आए
जो आप मांगे उससे अधिक पाएं
गोवर्धन पूजा में कृष्ण गुण गाएं
और ये त्यौहार खुशी से मनाएं
गोवर्धन पूजा 2019 की शुभकामना
गोवर्धन पूजा के मुहूर्त - Govardhan Pooja muhurat timings
सुबह 06:35 से 07:50 तक
सुबह 09:25 से 10:40 तक
गोवर्द्धन पूजा सांयकाल मुहूर्त: 28 अक्टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट
अन्नकूट क्या है?
अन्नकूट पर्व पर तरह-तरह के पकवानों से भगवान की पूजा का विधान है. अन्नकूट यानी कि अन्न का समूह. श्रद्धालु तरह-तरह की मिठाइयों और पकवानों से भगवान कृष्ण को भोग लगाते हैं. मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई. एक और मान्यता है कि एक बार इंद्र अभिमान में चूर हो गए और सात दिन तक लगातार बारिश करने लगे. तब भगवान श्री कृष्ण ने उनके अहंकार को तोड़ने और जनता की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को ही अंगुली पर उठा लिया था. बाद में इंद्र को क्षमायाचना करनी पड़ी थी. कहा जाता है कि उस दिन के बाद से गोवर्धन की पूजा शुरू हुई. जमीन पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा की जाती है.
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